
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
राजस्थान के अलवर में दलित बच्चे से बर्बरता: दबंगों ने पीटा, थूक चटवाया और कुकर्म का प्रयास, FIR दर्ज
राजस्थान के अलवर जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। खेड़ली थाना क्षेत्र के पीपलखेड़ा गांव में दो दबंग युवकों ने एक 11 वर्षीय दलित लड़के के साथ मारपीट की, उसे सड़क पर थूक चटवाया और बाजरे के खेत में ले जाकर कुकर्म करने का प्रयास किया। घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है।
घटना कैसे हुई?
पीड़ित बालक की मां के अनुसार, 29 अगस्त को शाम करीब 5 बजे उसका बेटा साइकिल से खेतों की ओर गया था। रास्ते में अचानक एक बाइक पर आए दो युवक—विजेंद्र पुत्र अतर सिंह गुर्जर और विकास पुत्र देवी मीणा (दोनों निवासी पीपलखेड़ा) ने उसे जबरन रोक लिया। दोनों युवक नशे में धुत थे। उन्होंने पहले बच्चे को जातिसूचक गालियां दीं और उसके साथ मारपीट की। इसके बाद आरोपियों ने जमीन पर थूक कर बच्चे को जबरन चटवाया और पैरों में गिरकर माफी मंगवाई।
कुकर्म का प्रयास और ग्रामीणों की दखल
इसके बाद दोनों दबंग चाकू दिखाकर बच्चे को पास के बाजरे के खेत में ले गए। वहां उन्होंने उसके कपड़े उतरवाए और कुकर्म करने की कोशिश की। हालांकि, इस दौरान खेतों में काम कर रहे कुछ ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों को देखकर आरोपी वहां से फरार हो गए। डरा-सहमा बच्चा रोते हुए घर पहुंचा और पूरी घटना अपने परिजनों को बताई।
FIR दर्ज, पुलिस ने कार्रवाई शुरू की
परिजनों ने तुरंत खेड़ली पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ मारपीट, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने और कुकर्म के प्रयास समेत गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों की तलाश जारी है और घटना की निष्पक्ष जांच की जा रही है। साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस घटना के बाद गांव और आसपास के इलाकों में रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय पर आरोपियों को पकड़ा नहीं गया तो वे प्रदर्शन करेंगे। यह मामला न केवल जातीय उत्पीड़न से जुड़ा है, बल्कि बाल संरक्षण कानूनों का भी गंभीर उल्लंघन है।
कानूनी पहलू और संभावित धाराएं
मामला अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किया गया है। इसके अलावा, आईपीसी की मारपीट, धमकी, और कुकर्म के प्रयास संबंधी धाराएं भी जोड़ी गई हैं। चूंकि पीड़ित बच्चा नाबालिग है, इसलिए पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया की संभावना
ऐसे मामले अक्सर राजनीतिक रंग भी ले लेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन को तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिले और समाज में जातीय सौहार्द बना रहे।
परिवार की मांग: आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करो
पीड़ित बालक के परिजनों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और बच्चे को सुरक्षा दी जाए। परिवार का कहना है कि घटना के बाद बच्चा मानसिक रूप से बेहद डर गया है और किसी से बात नहीं कर पा रहा।
अलवर की यह घटना केवल अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदनाओं को झकझोर देने वाली बर्बरता है। एक मासूम बच्चा न केवल हिंसा का शिकार हुआ, बल्कि उसे उसकी जाति के आधार पर अपमानित भी किया गया। पुलिस और प्रशासन पर अब जिम्मेदारी है कि वह तेज और कड़ी कार्रवाई करे, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।