
नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर l
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को राजधानी में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के योगदान की सराहना की और कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही ये उपक्रम देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के विरुद्ध मानवता की जीत का स्वर्णिम अध्याय बताते हुए कहा कि इस अभियान में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका निर्णायक रही है।
राष्ट्रपति ने स्कोप (SCOPE) द्वारा आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सार्वजनिक उपक्रम आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ के राष्ट्रीय अभियान में भी अहम योगदान दे रहे हैं। उन्होंने रक्षा क्षेत्र के उपक्रमों की विशेष सराहना की और विनिर्मित आकाश-तीन नामक वायु रक्षा प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि इस प्रणाली ने आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने और भारत पर हमले की आशंकाओं को पूरी तरह समाप्त कर दिया। राष्ट्रपति ने इसे सार्वजनिक उपक्रमों की क्षमता और समर्पण का प्रतीक बताया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, नवाचार और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत ने बड़ी प्रगति की है और इसमें सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान उल्लेखनीय रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के सिद्धांत को अपनाते हुए सार्वजनिक उपक्रम 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने औद्योगिकीकरण, अवसंरचना विकास, कृषि, खनन, ऊर्जा और सेवा क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके अनुसार, इन उपक्रमों ने अनुसंधान, निर्माण, प्रसंस्करण और उत्पादन में अपनी दक्षता से राष्ट्र निर्माण की दिशा में नई ऊर्जा भरी है।
समारोह में वर्ष 2022-23 के लिए स्कोप एमिनेंस अवॉर्ड प्रदान किए गए। राष्ट्रपति ने सतत विकास, कॉर्पोरेट प्रशासन और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उपक्रमों को सम्मानित किया। पुरस्कारों का चयन सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली निर्णायक समिति ने किया था। राष्ट्रपति ने समिति के काम की भी सराहना की।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सार्वजनिक उपक्रम आगे भी राष्ट्र निर्माण, आर्थिक प्रगति और सामाजिक समावेशन की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाते रहेंगे और आने वाले वर्षों में भारत को आत्मनिर्भर और विश्वगुरु बनाने में सहयोगी सिद्ध होंगे।