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रिम्स कैंपस से 72 घंटे में अतिक्रमण हटाओ: हाईकोर्ट

स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के परिसर में फैले अतिक्रमण को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए अतिक्रमणकारियों को 72 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया है। कोर्ट ने साफ-साफ चेतावनी दी है कि अगर अतिक्रमणकारी खुद अपना कब्जा नहीं हटाते, तो राज्य प्रशासन पुलिस की मदद से सख्त कार्रवाई करेगा। यह आदेश मरीजों की बेहतर सुविधाओं और अस्पताल की बुनियादी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए जनहित याचिका पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जारी किया गया। अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी, जहां 72 घंटे बाद की स्थिति पर रिपोर्ट पेश की जाएगी।

कोर्ट की इस सख्ती से रिम्स परिसर में हलचल मच गई है। प्रशासन और रिम्स प्रबंधन को तुरंत एक्शन में आने के निर्देश दिए गए हैं। अगर समय सीमा में अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा और अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। रिम्स झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज है, जहां रोजाना हजारों मरीज आते हैं। अतिक्रमण के चलते यहां की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, जिस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई।

अतिक्रमण हटाने का सख्त प्लान: पुलिस और मशीनरी का होगा इस्तेमाल

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, रिम्स प्रबंधन, रांची जिला प्रशासन और पुलिस को संयुक्त रूप से 72 घंटे के भीतर पूरे परिसर से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारी अगर खुद नहीं हटते, तो प्रशासन को पुलिस बल के साथ मिलकर कब्जा मुक्त कराना होगा। इसमें पक्के-कच्चे मकान, दुकानें, धार्मिक स्थल और पार्क जैसी संरचनाओं को तोड़ने के लिए बुलडोजर और अन्य मशीनरी का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

इस अल्टीमेटम के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों को अतिक्रमण की सूची तैयार कर तुरंत कार्रवाई शुरू करने को कहा गया। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आधा-अधूरा काम हुआ या देरी हुई, तो संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जवाब देना पड़ेगा। यह फैसला रिम्स में लंबे समय से चल रही अव्यवस्थाओं को देखते हुए लिया गया, जहां अतिक्रमण मरीजों के इलाज और छात्रों की पढ़ाई पर सीधा असर डाल रहा है।

रिम्स की जमीन पर फैला अवैध कब्जा: 7 एकड़ से ज्यादा प्रभावित

झारखंड लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) की निरीक्षण टीम की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि रिम्स की करीब 7 एकड़ जमीन पर भारी अतिक्रमण है। इसमें 50 से ज्यादा पक्के और कच्चे मकान बने हुए हैं, साथ ही अस्थायी दुकानें, धार्मिक स्थल और एक पार्क भी शामिल हैं। टीम ने पाया कि ये कब्जे वर्षों से हैं, लेकिन रिम्स प्रबंधन और प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यहां तक कि एफआईआर जैसी कार्रवाई भी नहीं की गई, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा।

कोर्ट ने रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि अतिक्रमण के कारण अस्पताल की बुनियादी सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं, उपकरणों की कमी है और खाली पदों के चलते स्टाफ की दिक्कत है। पहले की सुनवाइयों में भी हाईकोर्ट ने रिम्स की गंदगी और अव्यवस्थाओं पर कड़ी फटकार लगाई थी, जिसके बाद निरीक्षण कमेटी गठित की गई और स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई। अब इस अल्टीमेटम से उम्मीद है कि रिम्स की पुरानी समस्याओं का समाधान होगा।

कोर्ट की नाराजगी: प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल

हाईकोर्ट ने रिम्स प्रबंधन और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि अतिक्रमण की जानकारी होने के बावजूद कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया। कोर्ट का मानना है कि यह न सिर्फ अस्पताल की कार्यप्रणाली को बाधित कर रहा है, बल्कि मरीजों और छात्रों के हितों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। रिम्स में रोजाना सैकड़ों मरीजों का इलाज होता है, लेकिन अतिक्रमण के कारण पार्किंग, रास्ते और अन्य सुविधाएं प्रभावित हैं। 

पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने रिम्स को गवर्निंग बॉडी के फैसलों को लागू करने के निर्देश दिए थे, साथ ही अस्पताल की सुविधाओं पर 10 दिनों में रिपोर्ट मांगी थी। अब इस 72 घंटे के अल्टीमेटम से साफ है कि कोर्ट किसी भी ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रशासन को अब अतिक्रमण की पहचान, नोटिस और हटाने की प्रक्रिया तेज करनी होगी। अगर जरूरत पड़ी तो बल प्रयोग भी किया जाएगा।

आगे क्या: 11 दिसंबर की सुनवाई होगी निर्णायक

अगली सुनवाई में 72 घंटे बाद की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर अतिक्रमण नहीं हटा, तो अवमानना की कार्रवाई होगी। इससे रिम्स में सुधार की प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है। मरीजों के लिए बेहतर इलाज, साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं का वादा अब हकीकत में बदल सकता है। प्रशासन को अब तुरंत टीम गठित कर कार्रवाई शुरू करनी होगी, वरना अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

रिम्स के छात्र और मरीज इस फैसले से उत्साहित हैं। एक छात्र ने कहा कि अतिक्रमण के कारण कैंपस में असुरक्षा का माहौल है, जबकि मरीजों का कहना है कि अस्पताल की अव्यवस्थाएं जानलेवा साबित हो रही हैं। कोर्ट का यह कदम झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है।