लंदन में लाखों लोग सड़कों पर उतरे, हालिया इतिहास का सबसे बड़ा दक्षिणपंथी प्रदर्शन

विदेश डेस्क, ऋषि राज |
लंदन में एक लाख से अधिक लोग सड़कों पर उतरे, हालिया इतिहास का सबसे बड़ा दक्षिणपंथी प्रदर्शन
ब्रिटेन की राजधानी लंदन ने शनिवार को हालिया इतिहास के सबसे बड़े दक्षिणपंथी प्रदर्शन का गवाह बना। एंटी-इमिग्रेशन कार्यकर्ता टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में करीब 1.10 लाख प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे। यह रैली ब्रिटेन की आव्रजन नीतियों, शरणार्थियों की बढ़ती संख्या और सरकार की ढीली सुरक्षा व्यवस्था के खिलाफ आयोजित की गई थी।
प्रदर्शन का पैमाना
पुलिस के अनुसार, पिछले कई दशकों में राजधानी में इतना बड़ा दक्षिणपंथी प्रदर्शन पहले नहीं हुआ प्रदर्शनकारियों ने सामूहिक आव्रजन रोकें” और “हमारी सीमाओं की रक्षा करें” जैसे नारे लगाए। भीड़ का एक बड़ा हिस्सा यूनियन जैक और राष्ट्रवादी प्रतीक लिए हुए था। कई लोग टॉमी रॉबिन्सन के पोस्टर और बैनर भी उठा रहे थे।
टॉमी रॉबिन्सन का संबोधन
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे रॉबिन्सन ने सरकार पर आरोप लगाया कि "ब्रिटेन अपनी पहचान खो रहा है" और शरणार्थियों की बढ़ती संख्या से स्थानीय नागरिकों का जीवन कठिन हो गया है। उन्होंने कहा, “यह आंदोलन किसी व्यक्ति या पार्टी के लिए नहीं बल्कि हमारी संस्कृति और हमारे भविष्य को बचाने के लिए है।”
पुलिस और सुरक्षा इंतज़ाम
इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी को देखते हुए लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने शहर के केंद्र में भारी सुरक्षा बल तैनात किए। संसद भवन, डाउनिंग स्ट्रीट और कई सरकारी दफ्तरों के आसपास बैरिकेड लगाए गए। हालांकि, कुछ इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें कई लोगों को हिरासत में लिया गया।
विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
लेबर पार्टी और मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रदर्शन की आलोचना करते हुए कहा कि यह रैली समाज को विभाजित करने वाली राजनीति को बढ़ावा देती है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि शरणार्थियों और प्रवासियों को निशाना बनाना ब्रिटेन की लोकतांत्रिक और बहुसांस्कृतिक परंपरा के खिलाफ है। वहीं, कुछ संगठनों ने सरकार से मांग की कि नफरत फैलाने वाले भाषणों और प्रदर्शनों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
राजनीतिक महत्व
यह प्रदर्शन ऐसे समय हुआ है जब ब्रिटेन में आव्रजन नीति पर बहस अपने चरम पर है। हाल ही में सरकार ने शरणार्थियों को रवांडा भेजने की योजना का प्रस्ताव रखा था, जिस पर काफी विवाद हुआ। दक्षिणपंथी संगठनों का मानना है कि सरकार की मौजूदा नीतियां कमजोर हैं और इससे ब्रिटेन की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर बोझ बढ़ रहा है।
लंदन का यह प्रदर्शन ब्रिटेन की राजनीति और समाज में बढ़ती दक्षिणपंथी सोच और असंतोष की स्पष्ट झलक है। आने वाले समय में यह बहस और गहराने वाली है कि क्या ब्रिटेन बहुसंस्कृतिवाद की अपनी पहचान बनाए रखेगा या सख्त राष्ट्रवादी नीतियों की ओर बढ़ेगा।