
नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर l
भारतीय वायुसेना ने शुक्रवार को अपने सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले लड़ाकू विमान मिग-21 को 62 वर्षों की शौर्यपूर्ण यात्रा के बाद अंतिम सलामी दी। चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित विशेष समारोह में इस ऐतिहासिक विमान ने अपनी आखिरी उड़ान भरी और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने स्वयं मिग-21 उड़ाकर इसे अंतिम विदाई दी।
मिग-21 को वर्ष 1963 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। इसने 1971 के भारत-पाक युद्ध सहित कारगिल युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंडीगढ़ एयरबेस पर इसे 28 स्क्वॉड्रन के तहत शामिल किया गया था और विदाई भी यहीं से दी गई। समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सहित कई गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं।
इस मौके पर देश में निर्मित लड़ाकू विमान तेजस ने मिग-21 के साथ उड़ान भरकर भारतीय वायुसेना के नए युग की शुरुआत का संदेश दिया। अन्य विमानों ने भी आकाश से सलामी दी। इसके अलावा सभी मिग-21 विमानों को वॉटर कैनन सलामी भी दी गई।
परंपरा के अनुसार उड़ान पूरी करने के बाद पायलट कॉकपिट से बाहर आए और अपने-अपने विमानों को अंतिम बार नमन किया। अब ये विमान वायुसेना की विरासत उड़ानों और संग्रहालयों का हिस्सा बनेंगे| समारोह के दौरान मिग-21 विमानों की देखरेख से जुड़े दस्तावेज वायुसेना प्रमुख को सौंपे गए। रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर सेना डाक सेवा का विशेष आवरण भी जारी किया, जिसमें मिग-21 की तस्वीर अंकित है।
अंत में वायुसेना प्रमुख ने रक्षा मंत्री को मिग-21 का एक स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस तरह, भारतीय आकाश का शेर कहे जाने वाले मिग-21 का गौरवपूर्ण अध्याय इतिहास में दर्ज हो गया।