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श्रीलंका में 12 भारतीय मछुआरे गिरफ्तार, नौका जब्त

विदेश डेस्क, ऋषि राज |

श्रीलंका के उत्तरी समुद्री क्षेत्र में रविवार को कम से कम 12 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया। जानकारी के अनुसार, ये सभी मछुआरे जाफना के निकट समुद्री क्षेत्र में कथित तौर पर अवैध रूप से मछली पकड़ने में लगे हुए थे। श्रीलंकाई नौसेना ने न केवल मछुआरों को हिरासत में लिया, बल्कि उनकी नाव को भी जब्त कर लिया।

नौसेना का अभियान

श्रीलंकाई नौसेना ने बताया कि यह कार्रवाई उत्तरी नौसैनिक कमान द्वारा श्रीलंकाई तटरक्षक बल के समन्वय से की गई। अभियान का उद्देश्य अवैध रूप से समुद्री सीमाओं में प्रवेश करने वाले विदेशी मछुआरों पर रोक लगाना था। अधिकारियों का कहना है कि हाल के दिनों में भारतीय मछुआरों द्वारा श्रीलंकाई जलक्षेत्र में प्रवेश के मामलों में वृद्धि हुई है, जिसके चलते यह कदम उठाना पड़ा।

भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों का यह मुद्दा नया नहीं है। तमिलनाडु और पुडुचेरी के तटीय इलाकों के मछुआरे अक्सर मछली पकड़ने के दौरान श्रीलंका की समुद्री सीमा में चले जाते हैं। श्रीलंकाई सरकार का कहना है कि इससे वहां की मत्स्य संपदा और स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर असर पड़ता है। दूसरी ओर, भारतीय मछुआरों का कहना है कि समुद्र में कोई स्पष्ट रेखा न होने की वजह से अनजाने में वे सीमा पार कर जाते हैं।
गिरफ्तार मछुआरों के परिवारों पर इस घटना का गहरा असर पड़ा है। भारत के दक्षिणी राज्यों से जुड़े ये मछुआरे अपने घरों की रोज़ी-रोटी के लिए समुद्र में जाते हैं। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब मछुआरे महीनों तक जेल में बंद रहे और उनके परिजन कठिनाइयों का सामना करते रहे।

भारत-श्रीलंका संबंधों पर असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की घटनाएँ दोनों देशों के संबंधों में तनाव पैदा करती हैं। भारत सरकार और तमिलनाडु सरकार अक्सर श्रीलंका से मछुआरों को रिहा करने की अपील करती रही है। कई बार उच्च स्तरीय वार्ताओं के बाद बंदी मछुआरों को छोड़ा गया है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान अब तक नहीं निकल सका है।

विश्लेषकों का कहना है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए भारत और श्रीलंका को मिलकर एक स्पष्ट और मानवीय नीति बनानी होगी। साझा निगरानी, सुरक्षित समुद्री क्षेत्र और वैकल्पिक रोजगार योजनाएँ ही इस समस्या का स्थायी हल हो सकती हैं।
श्रीलंका में 12 भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी ने एक बार फिर इस लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। अब देखना होगा कि कूटनीतिक स्तर पर दोनों देश इसे किस तरह सुलझाते हैं और मछुआरों की सुरक्षित रिहाई कब तक हो पाती है।