
एंटरटेनमेंट डेस्क, आर्या कुमारी |
प्रसिद्ध पार्श्व गायिका श्रेया घोषाल ने हाल ही में खुलासा किया है कि फिल्मकार संजय लीला भंसाली का उनके करियर में अहम योगदान रहा है। गायिका का कहना है कि भंसाली ने उन्हें बॉलीवुड में पहचान दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई।
देवदास से शुरुआत
श्रेया घोषाल ने अपनी पहली फिल्म देवदास (2002) के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उस समय उनकी उम्र महज 16 वर्ष थी। उन्होंने कहा कि जब यह खबर फैली कि भंसाली की फिल्म में एक नई गायिका गाने वाली है, तो कई लोगों से ऑफर आने लगे।
"संजय जी की फिल्म में नई लड़की के गाने की खबर वायरल हो गई थी। बहुत से लोगों ने मुझसे संपर्क किया, लेकिन मैंने संजय जी को वचन दिया था कि जब तक यह गाना रिलीज नहीं हो जाता, मैं कहीं और नहीं जाऊंगी," घोषाल ने बताया।
पिता का सहारा और कठिन फैसला
उस समय श्रेया अपनी पढ़ाई में व्यस्त थीं और इन महत्वपूर्ण निर्णयों में उनके पिता की मुख्य भूमिका थी। गायिका ने स्वीकार किया कि गाना रिलीज होने से पहले ही आई तमाम ऑफर्स को ठुकराना आसान नहीं था। "मैं सिर्फ 16 साल की थी और ये सभी फैसले मेरे पापा ले रहे थे। इतनी सारी ऑफर्स के बावजूद उन्हें मना करना मुश्किल था, लेकिन हमने अपने सिद्धांतों पर डटे रहने का निर्णय लिया," उन्होंने कहा।
सही फैसले का परिणाम
श्रेया घोषाल का मानना है कि यही निर्णय उनके करियर के लिए सबसे अच्छा साबित हुआ। उन्होंने कहा कि अगर वे दूसरी ऑफर्स स्वीकार कर लेतीं तो शायद देवदास में उनकी जगह नहीं होती। "यह रणनीति काम आई। अगर मैं उन सभी के लिए गा देती तो निश्चित रूप से देवदास में मौका नहीं मिलता। संजय जी इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे कि वही मुझे लॉन्च करेंगे और मुझे फिल्म रिलीज तक धैर्य रखना होगा," घोषाल ने समझाया। यह कहानी दिखाती है कि कैसे एक युवा कलाकार के धैर्य और विश्वास ने उसे बॉलीवुड की सबसे प्रतिष्ठित गायिकाओं में से एक बनाने में मदद की।