
स्पेशल रिपोर्ट, वेरोनिका राय |
26 साल बाद फिर सीट 11A से बची एक जान, Ruangsak और विश्वास की कहानी ने उड़ाए होश
विमान हादसों की दुनिया में एक ऐसा संयोग सामने आया है जिसने हर किसी को हैरत में डाल दिया है। एयर इंडिया की हालिया फ्लाइट AI171 दुर्घटना में बचे एकमात्र यात्री विश्वास कुमार रमेश और 1998 के थाई एयरवेज हादसे में बचे थाई अभिनेता व गायक Ruangsak Loychusak के बीच एक बेहद अजीब लेकिन सच्चा संयोग सामने आया है – दोनों ही हादसों में ये लोग सीट नंबर 11A पर बैठे थे।
1998 का हादसा – TG261
26 साल पहले, 11 दिसंबर 1998 को थाईलैंड में थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261 हादसे का शिकार हो गई थी। उड़ान के दौरान तकनीकी गड़बड़ी के कारण विमान क्रैश हो गया, जिसमें 146 में से 101 लोगों की मौत हो गई थी।
20 वर्षीय Ruangsak Loychusak, जो उस समय एक उभरते हुए गायक और अभिनेता थे, उस हादसे में सीट 11A पर बैठे थे। चमत्कारिक रूप से वे मलबे से जिंदा बाहर निकले।
47 वर्षीय Ruangsak ने इस नए संयोग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा – “जब मुझे पता चला कि विश्वास भी उसी सीट पर बैठे थे जिससे मैं बचा था, मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। यह सिर्फ एक संयोग नहीं, कोई बड़ा संकेत लगता है। मैं उनके लिए गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ।”
एयर इंडिया AI171 हादसा – 2024
हादसा 9 जून 2024 को हुआ। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 ने अहमदाबाद से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान में तकनीकी खराबी आ गई और वह क्रैश हो गया। विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें से 241 की मौत हो गई।
लेकिन एक चमत्कार हुआ – 23 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश, जो सीट नंबर 11A पर बैठे थे, ज़िंदा बच गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे इमरजेंसी एग्जिट के पास बैठे थे और हादसे के बाद खुद मलबे से बाहर निकल आए। उन्हें मामूली चोटें आईं, लेकिन मानसिक आघात गहरा है।
क्या 11A है ‘संयोग का संकेत’?
दो विमान हादसे, दो अलग-अलग दशकों में, दो देशों में… और एक ही सीट से बचे दो लोग। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों पर है कि क्या सीट 11A के पीछे कोई रहस्य है?
विमानन विशेषज्ञ इसे संयोग कह रहे हैं, लेकिन आम लोग और आध्यात्मिक विचार रखने वाले इस घटना को किसी ‘दैवी शक्ति’ से जोड़ रहे हैं।
विश्वास का बयान
हादसे के बाद अस्पताल में भर्ती विश्वास कुमार रमेश ने मीडिया से कहा: “मैंने सोचा था सब खत्म हो गया… लेकिन जब आंखें खुलीं, मैं मलबे में था। धीरे-धीरे बाहर निकला। बाद में जब लोगों ने बताया कि मैं सीट 11A पर था – और ठीक वही सीट Ruangsak की भी थी – मैं अवाक रह गया।”
भावनात्मक जुड़ाव
Ruangsak ने सोशल मीडिया के ज़रिए विश्वास से संपर्क करने की इच्छा ज़ाहिर की है और कहा है कि वह जल्द भारत आकर उनसे मिलना चाहेंगे।
यह कहानी महज दो लोगों की ज़िंदगी नहीं, बल्कि उस अदृश्य धागे की कहानी है जो समय, स्थान और परिस्थिति से परे जुड़ती है। सीट 11A अब सिर्फ एक नंबर नहीं, एक जिंदा गवाही है कि चमत्कार होते हैं – और कुछ संयोग वाकई रोंगटे खड़े कर देने वाले होते हैं।