
नेशनल डेस्क, आर्या कुमारी |
दिल्ली के एक निजी संस्थान से जुड़े स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर 17 छात्राओं से यौन शोषण और करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप है। ट्रस्ट के नाम पर हेराफेरी, बैंक खातों का खेल और करियर बर्बाद करने की धमकियों ने केस को चर्चित बना दिया है।
छात्राओं के शोषण और करोड़ों की जालसाजी में फंसे पार्थ सारथी उर्फ स्वामी चैतन्यानंद को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया। आगरा से गिरफ्तारी के बाद उनका मेडिकल सफदरजंग अस्पताल में हुआ था। आरोप है कि उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं से न सिर्फ छेड़छाड़ की, बल्कि भारी ठगी भी की।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि जांच शुरुआती चरण में है और आरोपी पर गंभीर आरोप हैं। संस्थान पर पूरा नियंत्रण रखते हुए वह कुलपति की भूमिका निभा रहा था। अब तक 16 छात्राओं ने यौन उत्पीड़न की पुष्टि की है। पुलिस का कहना है कि जांच के लिए आरोपी को अल्मोड़ा, गुड़गांव, फरीदाबाद और दिल्ली ले जाना होगा, जिसके लिए हिरासत जरूरी है। दिल्ली पुलिस ने आरोपी से जुड़े लगभग 8 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। यह रकम 18 बैंक खातों और 28 एफडी में जमा थी, जिन्हें फ्रीज कर दिया गया है। पैसा ट्रस्ट के जरिए जमा होता था, जहां दान और अंशदान लिया जाता था। आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों से कई खाते खोले और लेनदेन छिपाया। केस दर्ज होने के बाद उसने 50 लाख रुपये भी निकाल लिए थे।
इससे पहले कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जज हरदीप कौर ने कहा कि जांच शुरुआती चरण में है और हिरासत में पूछताछ जरूरी है। कोर्ट ने माना कि गंभीर आरोपों को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी ने 'श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट' नाम से फर्जी ट्रस्ट बनाया था। उद्देश्य संस्थान की संपत्ति पर कब्जा कर उसे निजी हित में इस्तेमाल करना था। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने भूखंड संख्या 7 को धोखाधड़ी वाले ट्रस्ट में डालकर बिना अनुमति उप-पट्टे पर दिया। यह संपत्ति और उसकी आय संस्थान व श्रृंगेरी स्थित दक्षिणाम्नाय श्री शारदा पीठम के लिए थी, लेकिन इसका दुरुपयोग हुआ।
छात्राओं ने बताया कि आरोपी ने उन पर गहरा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया। उनके मोबाइल जब्त कर लिए जाते और बदले में अपनी पसंद का फोन दिया जाता, जिससे पूरा नेटवर्क उसके नियंत्रण में रहता। छात्राओं के मूल दस्तावेज भी रोक लिए जाते, जो कोर्स खत्म होने पर ही लौटाए जाते। विरोध करने पर करियर बर्बाद करने की धमकी दी जाती। कई छात्राओं ने कहा कि विरोध करने वालों को फेल कर दिया गया या निष्कासित कर दिया गया। एक पीड़िता ने कहा कि चैतन्यानंद ने 17 छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया और नियम न मानने पर करियर खत्म करने की धमकी देता था। मार्च 2025 में एक छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि 60 हजार रुपये दान देने के बाद भी उससे और पैसे मांगे गए।
पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि आरोपी ने अपने समर्थकों को ऊंचे पदों पर बैठाया, जबकि वे योग्य नहीं थे। मामला तब सामने आया जब एक वायुसेना अधिकारी ने शिकायत की। 4 अगस्त को दर्ज केस में 30 छात्राओं ने वर्चुअल मीटिंग में शोषण की शिकायत की थी।