
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
पाकिस्तान इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है, जहाँ लाखों लोग प्रभावित हुए हैं और बड़ी संख्या में गांव, बुनियादी सुविधाएं और कृषि संकटग्रस्त हो गए हैं। इसी बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का एक विवादित बयान सामने आया है, जिसने जनता और मीडिया में भारी आलोचना बटोरी है।
बयान का सार
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि देश में बह रहे बाढ़ के पानी को "अल्लाह की रहमत" माना जाए और उसे घरों में बाल्टियों और टबों में स्टोर कर लिया जाए—न कि सड़कों पर प्रदर्शन किया जाए। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे इसे एक वरदान के रूप में देखें और इसे जमा कर के रखें।
अजीब और असंवेदनशील सलाह
आसिफ की यह सलाह सोशल मीडिया और विपक्षी दलों द्वारा बेतुकी, हास्यास्पद और संवेदनहीन बताई जा रही है। कई लोगों ने कहा कि बाढ़ एक त्रासदी है—जिसे मजाक का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।
प्रतिक्रिया और सरकारी निराशा
इस बयान ने सरकार की आपातकालीन प्रतिक्रिया को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी नेताओं ने इसे गंभीरता की कमी बताया और कहा कि असल जरूरत बुनियादी राहत सामग्री, अवसंरचना और त्वरित बचाव की है—ना कि असंवेदनशील वक्तव्य का जो पीड़ितों का मज़ाक उड़ाता हो।
बाढ़ की विभीषिका—आंकड़े बयां करते हालात
पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, 26 जून से 31 अगस्त तक बाढ़ के कारण 854 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 1,100 से ज्यादा घायल हुए हैं।
पंजाब प्रांत में लगभग 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जिसमें सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं। राज्य सरकार ने कई लोगों और पशुधन को बचाया है, लेकिन राहत कार्यों में बाधा आ रही है।
पंजाब की नदियाँ—झेलम, चिनाब और रावी—सब उफान पर हैं, और कई जिले उत्पीड़न के कगार पर खड़े हैं।
रक्षा मंत्री का यह बयान असंवेदनशीलता और वास्तविकता से दूरी का प्रतीक है। भयंकर बाढ़ का सामना कर रहे लोगों को राहत और बचाव की तत्काल आवश्यकता है—ना कि सजगता से कोसों दूर ऐसे सलाह जो व्यावहारिक रूप से काम नहीं आ सकती।
आपदा प्रबंधन में बड़ी रणनीतिक चुनौतियों के बीच, छोटे बांध या जल-भंडारण की क्षमता बनाने की दिशा में सरकार को ठोस पहल करनी होगी—वहीं जनता आश्वासन और कार्यशील समर्थन की अपेक्षा कर रही है।