
राष्ट्रीय डेस्क, आर्या कुमारी |
दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाद अब हैदराबाद यूनिवर्सिटी में भी एबीवीपी-एसएलवीडी ने सभी पद अपने नाम कर लिए हैं। छात्र संघ चुनाव 2025 के नतीजे घोषित हुए, जिसमें एबीवीपी-एसएलवीडी गठबंधन ने केंद्रीय पैनल पर कब्ज़ा जमाया। शिव पालेपु अध्यक्ष चुने गए, जिन्हें बहुजन छात्र मोर्चा की अनन्या दाश ने कड़ी चुनौती दी। शिवा ने मात्र 9 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। उपाध्यक्ष पद पर देवेंद्र, महासचिव पद पर श्रुति प्रिय, संयुक्त सचिव पद पर सौरभ शुक्ला, जबकि वीनस और ज्वाला क्रमशः सांस्कृतिक और खेल सचिव बने।
कुल 169 उम्मीदवारों के बीच हुए मुकाबले में 19 सितंबर को 29 केंद्रों पर वोटिंग हुई। 81% से ज्यादा मतदान दर्ज हुआ, जिसमें छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए और धैर्यपूर्वक कतारों में खड़े रहे।
इससे पहले प्रशासन ने मौजूदा छात्रसंघ को भंग कर लिंगदोह समिति के दिशा-निर्देशों के तहत नए चुनाव कराने का फैसला लिया था। इस पर एनएसयूआई ने आपत्ति जताई और इसे "मनमाना और अलोकतांत्रिक निर्णय" बताया। संगठन का दावा था कि सर्वदलीय बैठक में चुनाव टालने पर सहमति बनी थी, लेकिन प्रशासन ने अचानक संघ को भंग कर चुनाव आयोग गठित कर दिया।
NSUI की बड़ी हार
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस से जुड़ा एनएसयूआई इस बार नोटा (NOTA) से भी कम वोट ला सका। यह तब हुआ जब राज्य में कांग्रेस की सरकार है। हालांकि, एनएसयूआई का एचसीयू में कभी भी बड़ा आधार नहीं रहा, लेकिन वामपंथी संगठनों के साथ मिलकर वह हमेशा चुनावी समीकरण का हिस्सा रहा है।
एबीवीपी का कहना है कि संगठन ने कैंपस में शांति बनाए रखने, एचसीयू की जमीन की रक्षा करने और छात्र हितों को लेकर लगातार आंदोलनों में भाग लिया है। यही वजह है कि छात्रों का भरोसा इस बार बड़े पैमाने पर एबीवीपी के पक्ष में गया। एबीवीपी की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "यह जीत एचसीयू के इतिहास में एक मील का पत्थर है, जिसने छात्र समुदाय के बीच एबीवीपी के प्रति बढ़ते विश्वास को साबित किया है।"