
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
विजयवाड़ा: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी पर 2019 से 2024 तक शराब नीति में अनियमितताओं के जरिए हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का सनसनीखेज आरोप लगा है। अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने 20 जुलाई 2025 को दायर 305 पेज के आरोपपत्र में इस घोटाले का अनुमानित मूल्य 3500 करोड़ रुपये बताया है। हालांकि, जगन मोहन रेड्डी को लाभार्थी के रूप में नामित किया गया है, लेकिन उन्हें इस मामले में अभी तक आरोपी नहीं बनाया गया है।
शराब नीति में हेरफेर का खेल
जांच के अनुसार, 2019 से 2024 तक वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के शासनकाल में आंध्र प्रदेश की शराब नीति को कुछ चुनिंदा शराब निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए हेरफेर किया गया। आरोपपत्र में दावा किया गया है कि नीति में बदलाव कर ऑर्डर फॉर सप्लाई (ओएफएस) प्रक्रिया को स्वचालित से मैनुअल कर दिया गया, जिससे कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ मिला। इसके लिए आंध्र प्रदेश स्टेट बेवरेजेस कॉरपोरेशन लिमिटेड (एपीएसबीसीएल) में वफादार अधिकारियों की नियुक्ति की गई और फर्जी डिस्टिलरीज बनाई गईं।
50-60 करोड़ रुपये मासिक रिश्वत
सीआईडी की जांच में सामने आया कि शराब निर्माताओं से शुरू में 12% और बाद में 20% तक की रिश्वत ली गई, जो नकद, सोने और अन्य रूपों में एकत्र की जाती थी। 2019 में हैदराबाद के होटल पार्क हयात में एक कथित धमकी भरी बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें शराब कंपनियों को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया। इस राशि का इस्तेमाल वाईएसआरसीपी के चुनावी खर्चों के लिए किया गया, जिसमें 250-300 करोड़ रुपये नकद उपयोग किए गए। बाकी राशि को 30 से अधिक फर्जी कंपनियों के जरिए विदेशों में निवेश किया गया, जिसमें दुबई और अफ्रीका में जमीन और लग्जरी संपत्तियां शामिल हैं।
प्रमुख आरोपियों की भूमिका
आरोपपत्र में जगन के पूर्व आईटी सलाहकार केसीरेड्डी राजशेखर रेड्डी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है। उनके साथ वाईएसआरसीपी सांसद पीवी मिथुन रेड्डी, विजय साई रेड्डी, बालाजी और पूर्व विधायक चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी भी शामिल हैं। मिथुन रेड्डी को 20 जुलाई 2025 को विजयवाड़ा में कई घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। केसीरेड्डी को अप्रैल 2025 में हैदराबाद हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था। सज्जला श्रीधर रेड्डी पर 2019 की धमकी भरी बैठक आयोजित करने का आरोप है।
राजनीतिक विवाद और जवाबी हमला
इस मामले ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। वाईएसआरसीपी नेताओं ने इसे वर्तमान टीडीपी सरकार और मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बताया है। जगन मोहन रेड्डी ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे "मीडिया के लिए बनाया गया काल्पनिक कथानक" करार दिया। उन्होंने दावा किया कि यह मामला धमकी, प्रताड़ना और रिश्वत के जरिए गवाहों के बयानों पर आधारित है। वाईएसआरसीपी नेताओं बोटचा सत्यनारायण, पर्नी वेंकटरमैया, अंबाती रामबाबू, मेरुगु नागार्जुन और जी. श्रीकांत रेड्डी ने भी इसे नायडू की बदले की कार्रवाई बताया।
जांच में नया मोड़
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मई 2025 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इस मामले में एक अलग जांच शुरू की है। सीआईडी की प्रारंभिक एफआईआर के आधार पर यह कार्रवाई की गई, जिससे इस घोटाले की जांच में बहु-एजेंसी दृष्टिकोण का संकेत मिलता है। अदालत ने अभी तक आरोपपत्र पर संज्ञान नहीं लिया है, जिससे मामले में और घटनाक्रम की संभावना बनी हुई है।
घोटाले का आर्थिक प्रभाव
जांच में पाया गया कि गैर-अनुपालन करने वाली शराब कंपनियों के लिए ओएफएस स्वीकृतियां रोक दी गईं, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। यह नीति कुछ चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई थी, जिसके परिणामस्वरूप अवैध आय का एक बड़ा हिस्सा विदेशी संपत्तियों में निवेश किया गया।