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इसरो का अगला बड़ा कदम, अमेरिकी ब्लूबर्ड सैटेलाइट को LVM3 से लॉन्च करने की तैयारी

नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक और ऐतिहासिक मिशन के लिए तैयार है। अमेरिका की कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल द्वारा विकसित ब्लॉक 2 ब्लूबर्ड सैटेलाइट को इसरो अपने सबसे भारी रॉकेट, लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च करने जा रहा है। यह मिशन, जिसे LVM3-M5 नाम दिया गया है, अगस्त 2025 में निर्धारित है और यह भारत-अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एक और मील का पत्थर साबित होगा। यह लॉन्च हाल ही में 30 जुलाई 2025 को नासा-इसरो सिन्थेटिक अपर्चर रडार (निसार) मिशन की सफलता के बाद हो रहा है, जो इसरो की वैश्विक स्तर पर बढ़ती साख को दर्शाता है।

सैटेलाइट की खासियत: स्मार्टफोन से सीधा कनेक्शन
  
ब्लॉक 2 ब्लूबर्ड सैटेलाइट, जिसका नाम FM1 है, एक अत्याधुनिक संचार उपग्रह है, जो सामान्य स्मार्टफोन्स को बिना किसी जमीनी सेल टावर के सीधे अंतरिक्ष से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इसका वजन करीब 6,500 किलोग्राम है, हालांकि कुछ स्रोत इसे 6,000 किलोग्राम बताते हैं। इस उपग्रह में 64 वर्ग मीटर का विशाल संचार ऐरे (एंटीना) लगा है, जो इसे निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में अब तक के सबसे बड़े वाणिज्यिक उपग्रहों में से एक बनाता है। यह सैटेलाइट ब्लॉक 1 ब्लूबर्ड और ब्लूवॉकर 3 की तुलना में 10 गुना अधिक बैंडविड्थ प्रदान करेगा, जिसमें प्रति बीम 40 मेगाहर्ट्ज की क्षमता और 120 एमबीपीएस तक की डेटा ट्रांसमिशन स्पीड होगी। यह तकनीक वॉयस कॉल, एचडी वीडियो स्ट्रीमिंग और रियल-टाइम डेटा शेयरिंग को संभव बनाएगी। 

LVM3: इसरो का शक्तिशाली रॉकेट
  
LVM3, जिसे पहले जीएसएलवी-मार्क III के नाम से जाना जाता था, 53 मीटर ऊंचा और 640 टन वजनी तीन चरणों वाला रॉकेट है। यह 10 टन तक का पेलोड निम्न पृथ्वी कक्षा में ले जा सकता है। इस रॉकेट ने अपनी पिछली सात उड़ानों में शत-प्रतिशत सफलता हासिल की है, जो इसकी विश्वसनीयता को दर्शाता है। इस मिशन के लिए क्रायोजेनिक अपर स्टेज (C25), जिसमें स्वदेशी CE20 इंजन और 28.5 टन प्रणोदक (प्रोपेलेंट) है, को 15 मार्च 2025 को तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित इसरो के प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स से रवाना किया गया। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के द्वितीय लॉन्च पैड से होगा।

मिशन की चुनौतियां

LVM3-M5 मिशन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। मूल रूप से मार्च 2025 के लिए निर्धारित इस लॉन्च को उपग्रह के विकास और नियामक मंजूरी में देरी के कारण स्थगित करना पड़ा। एएसटी स्पेसमोबाइल को विशाल संचार ऐरे के एकीकरण और एप्लिकेशन-स्पेसिफिक इंटीग्रेटेड सर्किट (ASIC) चिप के सत्यापन में तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा। यह चिप, जो 10,000 मेगाहर्ट्ज प्रोसेसिंग बैंडविड्थ को संभालने में सक्षम है, सैटेलाइट की मुख्य ताकत है। इसके अलावा, अमेरिका के इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशंस (ITAR) के तहत सैटेलाइट के भारत निर्यात के लिए मंजूरी और यूएस फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) से जमीन-आधारित सेलुलर फ्रीक्वेंसी के उपयोग की अनुमति में देरी ने भी शेड्यूल को प्रभावित किया। इसरो का 2025 का व्यस्त लॉन्च कैलेंडर, जिसमें निसार और अन्य जीएसएलवी व पीएसएलवी मिशन शामिल हैं, ने भी इस लॉन्च को प्राथमिकता में पीछे धकेला। नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) की अनुपस्थिति से संकेत मिलता है कि लॉन्च की तारीख अभी अनिश्चित है और यह सितंबर या अक्टूबर 2025 तक टल सकता है।

भारत-अमेरिका सहयोग का नया अध्याय

यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग को और मजबूत करेगा। निसार मिशन, जो पृथ्वी अवलोकन के लिए था, के बाद यह दूसरा बड़ा सहयोग है। इस लॉन्च को इसरो की वाणिज्यिक शाखा, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और एएसटी स्पेसमोबाइल के बीच हुए समझौते के तहत अंजाम दिया जा रहा है। इसरो की लागत-प्रभावी और विश्वसनीय लॉन्च क्षमता ने इसे स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन जैसे वैश्विक खिलाड़ियों के लिए एक मजबूत प्रतिस्पर्धी बनाया है। 2022 और 2023 में यूरोप की यूटेलसैट वनवेब के 72 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण ने इसरो की व्यावसायिक क्षमता को पहले ही साबित किया है। 

वैश्विक प्रभाव और भविष्य की योजनाएं

ब्लूबर्ड सैटेलाइट का लक्ष्य अमेरिका में 24/7 ब्रॉडबैंड कवरेज प्रदान करना है, जिसे बाद में वैश्विक स्तर पर विस्तारित किया जाएगा। यह उपग्रह ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। एएसटी स्पेसमोबाइल की योजना 2026 तक 60 ब्लॉक 2 ब्लूबर्ड उपग्रहों को तैनात करने की है, जिसमें इसरो, स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन के न्यू ग्लेन रॉकेट का उपयोग होगा। NSIL अतिरिक्त लॉन्च के लिए बातचीत कर रहा है, जो दीर्घकालिक साझेदारी की संभावना को दर्शाता है। कंपनी ने एटीएंडटी, वेरिजॉन, वोडाफोन और गूगल जैसे मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों के साथ साझेदारी की है, जिसके जरिए यह 2.8 अरब से अधिक ग्राहकों को सेवा देना चाहती है। 

हालांकि, इस परियोजना को ब्लूवॉकर 3 के कारण 2022 में उठे प्रकाश प्रदूषण और रेडियो-फ्रीक्वेंसी हस्तक्षेप के मुद्दों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ये चिंताएँ भविष्य में FCC और अन्य नियामक एजेंसियों के निर्णयों को प्रभावित कर सकती हैं। 

इसरो की वैश्विक पहचान

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन, जिन्होंने 14 जनवरी 2025 को कार्यभार संभाला, ने इस मिशन को भारत की वैश्विक अंतरिक्ष उपस्थिति बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। LVM3 की तकनीकी क्षमता और भारी पेलोड ले जाने की योग्यता इसरो के तकनीकी विकास को रेखांकित करती है। यह मिशन न केवल भारत की वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगा।