
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
तेजस्वी यादव की बढ़ीं मुश्किलें: दो वोटर आईडी मामले में चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस, 7 दिन में मांगा जवाब
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार मामला है दो अलग-अलग वोटर आईडी रखने का। निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में तेजस्वी को नोटिस जारी करते हुए सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला तब तूल पकड़ा जब तेजस्वी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपना ईपिक नंबर साझा किया, जो मतदाता सूची में नहीं मिला, लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने एक अन्य ईपिक नंबर के साथ तेजस्वी का नाम सूची में दिखा दिया। अब इस पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या तेजस्वी के पास दो वोटर आईडी हैं?
शनिवार को तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनका नाम मौजूदा मतदाता सूची में नहीं है। उन्होंने प्रेस के सामने अपना ईपिक नंबर RAB 2916120 साझा किया और कहा कि यह नंबर अब वोटर लिस्ट में शामिल नहीं है। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि उनका नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटा दिया गया है।
हालांकि, तेजस्वी के इस दावे के तुरंत बाद चुनाव आयोग ने जवाबी कार्रवाई करते हुए सबूत के साथ एक अलग ईपिक नंबर RAB 0456228 से उनका नाम मतदाता सूची में क्रमांक-416 पर दिखा दिया। आयोग के अनुसार, यह नंबर साल 2015 की मतदाता सूची में भी शामिल था। इससे यह संकेत मिला कि तेजस्वी के पास दो अलग-अलग ईपिक नंबर हो सकते हैं, जो भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
चुनाव आयोग की कार्रवाई
इस मामले में दीघा निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी ने तेजस्वी यादव को औपचारिक रूप से पत्र भेजा है। पत्र में उनसे पूछा गया है कि उनके द्वारा प्रस्तुत दोनों ईपिक नंबरों का क्या आधार है? अगर उनके पास दो वोटर आईडी हैं, तो इसकी कानूनी स्थिति स्पष्ट की जाए। आयोग ने सात दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है, वरना आगे की कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज
तेजस्वी के इस विवाद पर सियासत भी गरमा गई है। बीजेपी और एनडीए के घटक दल जनता दल (यूनाइटेड) ने इसे चुनावी अपराध बताते हुए तेजस्वी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। जेडीयू नेताओं का कहना है कि दो वोटर आईडी रखना न केवल चुनावी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि नैतिकता के भी खिलाफ है।
तेजस्वी की सफाई का इंतजार
फिलहाल, तेजस्वी यादव ने इस नोटिस पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन अगर वह सात दिनों के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो यह मामला कानूनी जांच और कार्रवाई की ओर बढ़ सकता है, जिससे उनकी राजनीतिक छवि और आगामी चुनावों पर असर पड़ सकता है।
दो वोटर आईडी रखने का आरोप कोई सामान्य बात नहीं है, खासकर तब जब यह आरोप विपक्ष के बड़े नेता पर लगे हों। आने वाले दिनों में तेजस्वी यादव का जवाब और चुनाव आयोग की अगली कार्रवाई बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकती है।