
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर हिंसक झड़पें, जंग के आसार गहराए; 14 की मौत, 100,000 से अधिक लोगों का पलायन...
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव ने अब गंभीर रूप ले लिया है। दोनों देशों के बीच हुई भीषण सैन्य झड़पों ने हालात को जंग की दहलीज पर ला खड़ा किया है। थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हालिया झड़पों में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 13 आम नागरिक और एक सैनिक शामिल हैं। इसके अलावा 46 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
इससे पहले बुधवार को सीमा पर बारूदी सुरंग के धमाके में पांच थाई सैनिकों के घायल होने से तनाव अचानक बढ़ गया। थाई सेना ने इस हमले के लिए कंबोडियाई सेना को जिम्मेदार ठहराया, जबकि कंबोडिया की ओर से अभी तक किसी तरह की आधिकारिक पुष्टि या प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान: अस्पताल और नागरिक निशाने पर
थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्री सोमसाक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कंबोडियाई सेना ने जानबूझकर आम नागरिकों और एक अस्पताल को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा, “हम कंबोडिया सरकार से अपील करते हैं कि वह इस हिंसा को तुरंत रोके और बातचीत की राह अपनाए।” सोमसाक ने यह भी बताया कि बॉर्डर के आसपास के इलाकों से लगभग एक लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं और राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक बुलाई गई
फ्रांसीसी समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मैनेट के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद शुक्रवार को एक आपातकालीन बैठक करेगी, जिसमें दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी सैन्य संघर्ष पर चर्चा की जाएगी। राजनयिक हलकों में इसे इस दशक की सबसे गंभीर सीमा विवाद की स्थिति बताया जा रहा है।
अमेरिका की शांति की अपील
अमेरिका ने भी इस तनाव को लेकर चिंता जताई है और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “थाईलैंड और कंबोडिया दोनों मित्र देश हैं। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों सरकारें बातचीत के माध्यम से इस संकट का समाधान निकालें और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखें।”
गौरतलब है कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद नया नहीं है। दोनों देशों के बीच वर्षों से प्रीह विहार मंदिर के आस-पास के इलाके को लेकर विवाद चला आ रहा है। 2011 में भी ऐसी ही सैन्य झड़पों में दर्जनों सैनिकों की जान गई थी। लेकिन इस बार का संघर्ष ज्यादा व्यापक और विनाशकारी बताया जा रहा है।
स्थिति तनावपूर्ण, कूटनीतिक हल की उम्मीद
वर्तमान हालात को देखते हुए दोनों देशों की सरकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है — नागरिकों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता की बहाली। हालांकि अभी तक कोई निर्णायक राजनयिक पहल सामने नहीं आई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें शुक्रवार को होने वाली संयुक्त राष्ट्र बैठक पर टिकी हुई हैं।
स्थिति लगातार बदल रही है और किसी भी समय हालात और गंभीर हो सकते हैं। स्थानीय प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं राहत एवं बचाव कार्यों में जुट गई हैं। सीमा के पास बसे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।