
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
बिजनौर के राजा का ताजपुर के रामखेड़ा गांव में एक ऐसी घटना ने लोगों को हैरत में डाल दिया, जो किसी चमत्कार से कम नहीं। नौ साल पहले सांप के काटने से मृत मानकर गंगा में प्रवाहित किए गए युवक सोनू के जिंदा लौटने की खबर ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। गांव में लोग सोनू को देखने उमड़ रहे हैं, और उसकी कहानी सुनकर हर कोई स्तब्ध है।
सांप के काटने से शुरू हुई कहानी
करीब नौ साल पहले रामखेड़ा गांव के पप्पू सिंह के बेटे सोनू को सांप ने काट लिया था। परिजनों ने उसका इलाज स्थानीय तरीकों और झाड़-फूंक से कराने की कोशिश की, लेकिन सोनू की बेहोशी टूटी नहीं। उसकी सांसें थमने का अंदेशा होने पर परिवार और ग्रामीणों ने उसे मृत मान लिया। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, सोनू के शव को बिजनौर के गंगा बैराज पर ले जाया गया और जल प्रवाह कर दिया गया। सभी को लगा कि सोनू अब इस दुनिया में नहीं रहा। लेकिन किसे पता था कि गंगा की धारा में बहने वाला यह युवक एक दिन जिंदा लौट आएगा।
नागा साधुओं ने दी नई जिंदगी
गंगा में प्रवाहित होने के बाद सोनू की कहानी ने एक अनोखा मोड़ लिया। कुछ नागा साधुओं ने उसे पानी में बहते देखा और तुरंत बाहर निकाला। साधुओं की मेहनत और देखभाल से सोनू की जान बच गई। हालांकि, सांप के जहर और लंबी बेहोशी के कारण वह अपनी याददाश्त खो चुका था। साधुओं ने उसे अपने साथ रखा और हरिद्वार-ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थलों पर ले गए। सोनू ने साधुओं के साथ रहते हुए नया जीवन शुरू किया। वह बीन बजाने लगा और साधु-संतों के साथ तीर्थयात्रा करने लगा। इस दौरान उसे अपने गांव, परिवार या पुरानी जिंदगी की कोई याद नहीं रही।
नहटौर में पहचान, भावुक पुनर्मिलन
हाल ही में नहटौर के सराय गांव में एक कार्यक्रम के दौरान सोनू की जिंदगी में एक और नाटकीय मोड़ आया। वह वहां बीन बजाते हुए दिखा, जब रामखेड़ा की एक लड़की की नजर उस पर पड़ी। उसने सोनू को पहचान लिया और तुरंत उसके परिवार को खबर दी। सूचना मिलते ही सोनू के पिता पप्पू सिंह, भाई और अन्य ग्रामीण सराय पहुंचे। सोनू को देखते ही परिवार वालों की आंखें नम हो गईं। पिता और भाई उसे गले लगाकर फूट-फूटकर रोने लगे। सोनू ने भी धीरे-धीरे अपने परिवार को पहचान लिया। उसने बताया कि सांप के काटने के बाद वह बेहोश हो गया था और फिर साधुओं ने उसकी जान बचाई। इस पुनर्मिलन ने पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ा दी।
गांव में उत्सव जैसा माहौल
सोनू अब अपने गुरु के साथ रामखेड़ा गांव लौट चुका है। उसकी वापसी की खबर फैलते ही आसपास के गांवों से लोग उसे देखने पहुंच रहे हैं। हर कोई उसकी कहानी सुनकर हैरान है और इसे चमत्कार मान रहा है। गांव में उत्सव जैसा माहौल है। लोग सोनू से मिलकर उसकी आपबीती सुन रहे हैं और साधुओं के प्रति आभार जता रहे हैं, जिन्होंने उसकी जान बचाई। सोनू की कहानी अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुकी है। कुछ लोग इसे धार्मिक चमत्कार मान रहे हैं, तो कुछ इसे जीवन की अनिश्चितता का प्रतीक बता रहे हैं।
सोनू का नया जीवन
सोनू अब अपने परिवार के साथ है, लेकिन उसका साधुओं के साथ बिताया समय उसे एक नई पहचान दे चुका है। वह बीन बजाने में माहिर हो गया है और अपने गुरु के प्रति गहरी श्रद्धा रखता है। उसका कहना है कि साधुओं ने न केवल उसकी जान बचाई, बल्कि उसे जीवन का एक नया अर्थ भी दिया। परिवार वाले भी खुश हैं कि उनका बेटा सालों बाद घर लौट आया। सोनू की कहानी सुनकर आसपास के लोग अब यह मानने लगे हैं कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है।