NCERT ने बदली इतिहास की परिभाषा: मुग़ल काल हटाया, “क्रूरता” पर ज़ोर, ब्रिटिश लूट पर कोई नई सामग्री नहीं

नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपने नए शैक्षणिक सत्र 2025–26 के लिए इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में व्यापक बदलाव किए हैं। इन बदलावों में कक्षा 7 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक से दिल्ली सल्तनत और मुग़ल साम्राज्य से संबंधित सभी अध्यायों को हटा दिया गया है। वहीं कक्षा 8 की नई पुस्तक में मुग़ल शासकों को “क्रूर” और “निर्दयी विजेता” जैसे शब्दों में वर्णित किया गया है। हालांकि, यह दावा कि पाठ्यपुस्तकों में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत से धन की लूट को प्रमुखता से जोड़ा गया है, अभी तक तथ्यात्मक रूप से सही नहीं पाया गया है।
NCERT द्वारा जारी की गई नई पुस्तक Exploring Society: India and Beyond – Part 1 (कक्षा 7) में इतिहास अब गुप्त साम्राज्य से शुरू होता है और सल्तनत तथा मुग़ल काल को पूरी तरह हटाया गया है। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF 2023) के तहत लाए गए हैं। परिषद का कहना है कि यह कदम “भारतीय परंपराओं, मूल्यों और गौरवशाली अतीत” को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से लिया गया है।
वहीं, कक्षा 8 की नई पुस्तक में मुग़ल शासकों का विश्लेषण बदले हुए दृष्टिकोण से किया गया है। बाबर को “रूथलेस विजेता” (निर्दयी आक्रमणकारी), अकबर को “क्रूर लेकिन सहिष्णु”, और औरंगज़ेब को “धार्मिक असहिष्णु” बताया गया है। इस बदलाव को लेकर शिक्षाविदों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई है। कई इतिहासकारों का कहना है कि इससे छात्रों को एकपक्षीय और पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण से इतिहास पढ़ने को मिलेगा।
हालांकि किताब में यह भी स्पष्ट किया गया है कि “इतिहास का उद्देश्य किसी विशेष व्यक्ति या समुदाय को दोष देना नहीं, बल्कि अतीत की घटनाओं की वस्तुनिष्ठ समझ बनाना है।” इसके बावजूद, आलोचक इसे इतिहास के पुनर्लेखन (rewriting) की प्रक्रिया मान रहे हैं।
इस बदलाव को लेकर सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि NCERT अब ब्रिटिश कालीन भारत से धन की लूट पर विशेष अध्याय जोड़ रहा है। लेकिन NCERT या शिक्षा मंत्रालय की ओर से ऐसी कोई औपचारिक घोषणा या नई सामग्री का उल्लेख अब तक सामने नहीं आया है। वर्तमान पाठ्यक्रम में ब्रिटिश शोषण, कर व्यवस्था और आर्थिक बदलाव जैसे विषय पहले से मौजूद हैं, लेकिन "लूट" शब्द या उसका विस्तृत अध्ययन अब तक नई पुस्तकों में शामिल नहीं किया गया है।
NCERT के अधिकारियों ने इन बदलावों का बचाव करते हुए कहा है कि यह “रैशनलाइजेशन” की प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य पाठ्यक्रम को बोझ-मुक्त और अधिक केंद्रित बनाना है। हालांकि, मुग़ल इतिहास को पूरी तरह हटाना और उनके शासनकाल की सिर्फ "क्रूरता" पर ध्यान केंद्रित करना, इसे केवल शैक्षिक सुधार नहीं, बल्कि वैचारिक हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है।
NCERT ने पाठ्यपुस्तकों में मुग़लों को "क्रूर शासकों" के रूप में दर्शाया है और उनके इतिहास को कई वर्गों से हटाया गया है। ब्रिटिश लूट को लेकर कोई नया पाठ्यसामग्री शामिल नहीं की गई है। फिलहाल, यह बदलाव शिक्षा नीति के तहत ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को “भारतीय मूल्यों” के अनुकूल बनाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा रहा है।