
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
अमेरिका ने ब्राज़ील पर 50% का टैरिफ ठोंका, राष्ट्रपति लूला ने दी धमकी – ‘अब हम भी लेंगे बदला’: गहराता वैश्विक व्यापार युद्ध
क्या है पूरा मामला?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 जुलाई को एक चौंकाने वाला ऐलान किया जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका ब्राज़ील से आयात होने वाले कई प्रमुख उत्पादों पर 50% का आयात शुल्क (टैरिफ) लगाएगा। यह फैसला 1 अगस्त 2025 से प्रभाव में आएगा। इस फैसले को अमेरिका की "राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा" से जोड़ा गया है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि ब्राज़ील से होने वाला आयात अमेरिकी उद्योगों, रक्षा उत्पादन और रोजगार के लिए खतरा बन गया है।
अमेरिका का पक्ष: क्यों लगाया टैरिफ?
राष्ट्रपति ट्रंप ने Truth Social पर पोस्ट करते हुए लिखा:
"कॉपपर, स्टील, कृषि उत्पाद जैसे आयात हमारी रक्षा प्रणाली, तकनीकी ढांचे और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। ब्राज़ील इन क्षेत्रों में अनुचित लाभ उठा रहा है। अब अमेरिका चुप नहीं बैठेगा।"
ट्रंप ने आगे लिखा कि यह टैरिफ:
अमेरिकी सेमीकंडक्टर, बैटरी, मिसाइल रक्षा, हाइपरसोनिक हथियार, और डाटा सेंटर निर्माण को संरक्षण देगा।
यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा मूल्यांकन के बाद लिया गया।
कौन-कौन से उत्पाद प्रभावित होंगे?
ब्राज़ील के इन उत्पादों पर 50% टैरिफ लगेगा:
- कॉपर और कॉपर बेस्ड उत्पाद
- लोहे और स्टील की वस्तुएं
- कृषि उत्पाद जैसे सोयाबीन, संतरे का रस, बीफ
- ऊर्जा उत्पाद जैसे एथेनॉल
- रसायन और खनिज
ब्राज़ील की प्रतिक्रिया: लूला ने दी तीखी चेतावनी
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा ने इस फैसले पर बेहद नाराजगी जताई। उन्होंने कहा:
"यह फैसला सिर्फ ब्राज़ील नहीं, पूरे लैटिन अमेरिका का अपमान है। अगर अमेरिका सोचता है कि हम चुप रहेंगे, तो यह उसकी भूल है। हम भी अब अमेरिका के उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाएंगे।"
लूला सरकार:
अमेरिकी टेक उत्पादों, जैसे iPhones, कंप्यूटर चिप्स पर टैरिफ लगाने की योजना बना रही है।
फार्मा और एग्रो केमिकल्स को भी निशाना बना सकती है।
इस मुद्दे को WTO (विश्व व्यापार संगठन) में उठाने की तैयारी कर रही है।
क्या शुरू हो गया है एक नया ‘व्यापार युद्ध’?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला अमेरिका और ब्राज़ील के बीच व्यापार युद्ध की शुरुआत हो सकती है। दोनों देश G20 के सदस्य हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इनकी बड़ी भूमिका है।
Harvard के अर्थशास्त्री प्रो. मार्टिन ब्लेक कहते हैं: "यह एक खतरनाक स्थिति है। ब्राज़ील अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा एग्रीकल्चर सप्लायर है। अगर यह टकराव बढ़ता है तो इसका असर दुनिया की खाद्य आपूर्ति और कीमतों पर भी पड़ेगा।"
आर्थिक प्रभाव और बाजार की प्रतिक्रिया
ब्राज़ीलियन मुद्रा (Real) डॉलर के मुकाबले 1.8% गिर गई।
साओ पाउलो स्टॉक एक्सचेंज में टॉप कंपनियों के शेयर 3% तक टूटे।
अमेरिका में स्टील और एग्रो बिजनेस कंपनियों के स्टॉक्स में उतार-चढ़ाव।
वैश्विक निवेशकों में चिंता की लहर।
राजनीतिक दृष्टिकोण
ट्रंप का यह कदम उनके दूसरे कार्यकाल की "अमेरिका फर्स्ट" नीति को मजबूती देता है। वे 2026 के मिड-टर्म चुनावों से पहले अपने घरेलू उद्योग को मज़बूत दिखाना चाहते हैं।
ब्राज़ील में भी लूला अपनी "स्वाभिमानी विदेश नीति" के लिए जाने जाते हैं। वे अमेरिका की दादागीरी को चुनौती देना चाहते हैं।
WTO की भूमिका और अगला कदम
ब्राज़ील का कहना है कि अमेरिका का यह फैसला WTO नियमों का उल्लंघन है। दोनों देश जल्द ही WTO विवाद समाधान प्रकोष्ठ के पास जा सकते हैं। लूला सरकार के प्रवक्ता ने कहा: "हम न्याय की मांग करेंगे। ये टैरिफ एकतरफा और गलत हैं।"
टकराव या समाधान?
अब सवाल है – क्या यह टकराव और बढ़ेगा, या दोनों देश डिप्लोमैटिक बातचीत के जरिए समाधान निकाल पाएंगे?
अगर जवाबी टैरिफ और प्रतिबंध लगते हैं, तो इससे पूरी दुनिया की सप्लाई चेन और व्यापारिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।