
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय युवक पर जानलेवा हमला, पीठ में चाकू घोंपने से रीढ़ की हड्डी में आया फ्रैक्चर....
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में रहने वाले एक 22 वर्षीय भारतीय युवक गगनदीप सिंह पर जानलेवा हमला किया गया। हमलावर ने पीछे से उसकी पीठ में चाकू घोंप दिया, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर फ्रैक्चर हो गया। पीड़ित को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। गगनदीप मूल रूप से पंजाब के जालंधर जिले का रहने वाला है और पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया गया था। मेलबर्न में वह पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम डिलीवरी का काम भी करता था। हमला उस वक्त हुआ जब वह एक ऑर्डर की डिलीवरी करने निकला था। हमलावर ने अचानक पीछे से वार किया और चाकू उसकी पीठ में घोंप दिया। डॉक्टरों के अनुसार चाकू की चोट से उसकी स्पाइनल कॉर्ड को गहरी क्षति पहुंची है।
पीड़ित के भाई ने मीडिया को बताया:
"वह अब तक दो बड़ी सर्जरी से गुजर चुका है। डॉक्टरों ने साफ कहा है कि वह अभी चल-फिर नहीं सकता और आगे रिकवरी में महीनों लग सकते हैं।"
नस्लभेदी हमले की आशंका, पुलिस कर रही जांच
हालांकि हमले की वजह अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन स्थानीय मीडिया और प्रवासी भारतीय संगठनों ने इसे नस्लभेदी हमले के रूप में देखा है। ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और हमलावर की तलाश की जा रही है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
यह घटना ऐसे वक्त में हुई है जब आयरलैंड में भारतीय नागरिकों पर हो रहे हमलों को लेकर पहले ही चिंता जताई जा रही थी। अब ऑस्ट्रेलिया में भी इस तरह की घटनाओं के बढ़ने से प्रवासी भारतीयों में डर और गुस्से का माहौल है।
भारत में भी फैली हलचल, दूतावास ने दिया भरोसा
भारत में इस खबर ने तेजी से सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा है। कई सामाजिक संगठनों और छात्र यूनियनों ने घटना की कड़ी निंदा की है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार से भारतीय छात्रों और कामगारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की गई है।
ऑस्ट्रेलिया स्थित भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर कहा है,
"हम पीड़ित परिवार के संपर्क में हैं और हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर मामले की निगरानी की जा रही है।"
बढ़ते हमलों पर चिंता
आयरलैंड और अब ऑस्ट्रेलिया में लगातार भारतीय नागरिकों पर हो रहे हमले कई सवाल खड़े कर रहे हैं। क्या ये केवल आपराधिक घटनाएं हैं या इसके पीछे नस्लभेद की कोई गहरी मानसिकता छिपी है? यह जांच का विषय है, लेकिन प्रवासी भारतीयों के बीच भय का माहौल स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।