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घोस्ट अकाउंट से ठगी, बिश्नोई गैंग कनेक्शन !

नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |

"लॉरेंस बिश्नोई गैंग से साइबर फ्रॉड अभिषेक का कनेक्शन! घोस्ट अकाउंट्स और विदेशी नंबर से ठगी का बड़ा नेटवर्क"

मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज प्रखंड के मीनापुर गांव से एक चौंकाने वाला साइबर अपराध उजागर हुआ है। यहां के रहने वाले अभिषेक नामक युवक पर संगठित तरीके से देशभर में साइबर ठगी करने का आरोप है। हैरान करने वाली बात यह है कि पुलिस को इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़े तार मिलने की आशंका है।

पुलिस जांच में सामने आया है कि अभिषेक का पारिवारिक और शैक्षणिक स्तर ऐसा नहीं है कि वह अकेले इतने बड़े और हाईटेक फ्रॉड नेटवर्क को चला सके। इसके चलते शक और गहराया है कि उसके पीछे कोई संगठित गिरोह काम कर रहा है, जिसमें कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गैंग की संलिप्तता हो सकती है।

घोस्ट अकाउंट और विदेशी नंबर से ठगी

अभिषेक टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर लोगों को ठगता था। वह घोस्ट अकाउंट के जरिए पहचान छिपाकर काम करता था और कॉलिंग के लिए वीपीएन आधारित मोबाइल ऐप से विदेशी नंबरों का प्रयोग करता था। इससे वह साइबर पुलिस की पकड़ से बाहर रहता था। पुलिस को शक है कि इन विदेशी नंबरों की व्यवस्था लॉरेंस गैंग के जरिये कराई गई होगी।

फरार अभिषेक की तलाश जारी

राजेपुर ओपी की पुलिस अभिषेक की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। वहीं, उसके भाई विकास को पहले ही जेल भेजा जा चुका है लेकिन पुलिस को उससे खास जानकारी नहीं मिल पाई है। डीएसपी साइबर क्राइम हिमांशु कुमार ने कहा कि यह अकेले का काम नहीं हो सकता। इसमें किसी बड़े साइबर गिरोह का हाथ होने की पूरी आशंका है।

डिजिटल लॉकर बना पुलिस के लिए चुनौती

अभिषेक के ठिकाने से जब्त डिजिटल लॉकर में बड़ी मात्रा में नकद होने की बात सामने आई है। लेकिन यह लॉक फिंगरप्रिंट से सुरक्षित है और इसे खोलने से निर्माण कंपनी ने इनकार कर दिया है। कंपनी का कहना है कि कोर्ट के नोटिस के बाद ही वे लॉकर खोलने में सहयोग करेंगे। पुलिस ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी है। लॉकर को गैस कटर से काटने का प्रयास नहीं किया जा सकता क्योंकि उससे अंदर रखे नोट जल सकते हैं।

लॉरेंस गैंग का उत्तर बिहार में नेटवर्क?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने उत्तर बिहार में साइबर ठगी के लिए एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया है। इसमें स्थानीय बेरोजगार युवकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन युवकों के नाम से फर्जी अकाउंट खोल कर ठगी की जा रही है।

पुलिस को मिले अहम सुराग

अभिषेक के कब्जे से जब्त मोबाइल, वाई-फाई डिवाइस, व्हाट्सएप चैट्स और टेलीग्राम ग्रुप्स से कई नंबर सामने आए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। पुलिस को उम्मीद है कि अभिषेक की गिरफ्तारी के बाद लॉरेंस गैंग के नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सकता है।

बड़ा रैकेट बेनकाब होने की संभावना

इस पूरे मामले ने उत्तर बिहार में साइबर अपराध के तेजी से फैलते नेटवर्क और उसके पीछे छिपे खतरनाक गिरोहों की ओर इशारा किया है। यदि लॉरेंस गैंग की भूमिका साबित होती है तो यह साइबर ठगी के मोर्चे पर बड़ी कार्रवाई मानी जाएगी।

पुलिस के लिए यह केस एक चुनौती बना हुआ है, लेकिन अभिषेक की गिरफ्तारी इस गुत्थी को सुलझा सकती है। फिलहाल पुलिस की छापेमारी जारी है और कोर्ट के आदेश के इंतजार के बाद डिजिटल लॉकर भी खोला जाएगा।