
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
चुनाव से पहले भाषा युद्ध की बात कर रहीं ममता बनर्जी, बांग्ला विरोध को बताया 'भाषाई आतंकवाद'
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अब लगभग 10 महीने का समय बचा है। अगले वर्ष अप्रैल-मई में राज्य में चुनाव होने हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्ला भाषा के मुद्दे को फिर से जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। देश के कुछ हिस्सों में अवैध बांग्लादेशियों को लेकर उठ रहे सवालों को उन्होंने बंगालियों के उत्पीड़न से जोड़ा है। गुरुवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि अब एक नए भाषा आंदोलन की आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों को बांग्लादेशी कहकर हिरासत में लिया जा रहा है और रोजगार से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने इस स्थिति को "भाषाई आतंकवाद" करार दिया।
भाषा के मुद्दे को उछालकर और आंदोलन की बात कर ममता बनर्जी ने संकेत दिया है कि वे चुनाव तक इस विषय को प्रमुख बनाए रखेंगी। पहले भी वे चुनावी रणनीति में बांग्ला पहचान को उभारती रही हैं और अब एक बार फिर वही रुख अपनाती दिख रही हैं। उन्होंने कहा कि बंगाली भाषा के खिलाफ जो माहौल बनाया जा रहा है, वह बेहद खतरनाक है। यह भाषा दुनिया में पांचवें स्थान पर बोली जाती है और देश में लगभग 30 करोड़ लोग इसे बोलते हैं, इसके बावजूद उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह उनकी व्यक्तिगत बात नहीं, बल्कि सभी बांग्ला भाषी लोगों की चिंता है। भाषा पर हमला स्वीकार्य नहीं है। बंगाल की मिट्टी और पहचान की रक्षा के लिए वे किसी भी हद तक जाएंगी। हाल ही में एनसीआर क्षेत्र के गुरुग्राम में कुछ बांग्ला भाषी लोगों को हिरासत में लिए जाने की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे निंदनीय बताया। गौरतलब है कि बंगाल के अलावा असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी बांग्ला भाषी आबादी बड़ी संख्या में है।