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धर्म की आड़ में तस्करी का आरोप: एलयू प्रोफेसर का धीरेंद्र शास्त्री पर विवादित बयान

नेशनल डेस्क, एन.के. सिंह |

लखनऊ यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविकांत चंदन एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने मशहूर कथावाचक और बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर गंभीर आरोप लगाया है। डॉ. रविकांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर दावा किया कि धीरेंद्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिलाओं की तस्करी कर रहे हैं।

डॉ. रविकांत ने गुरुवार दोपहर 2:23 बजे यह पोस्ट करते हुए लिखा, "धीरेंद्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है! इसकी गहन जांच करवाकर दोषी पाए जाने पर धीरेंद्र को फांसी होनी चाहिए।" उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया है। समर्थक और विरोधी पक्षों में तीखी बहस छिड़ गई है।

यही नहीं, उन्होंने एक अन्य पोस्ट में केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए लिखा, "पहले भारतीयों के हाथ में हथकड़ी, फिर सीजफायर की धमकी, अब 25 फीसदी टैरिफ और जुर्माना। मोदी जी की ट्रंप से दोस्ती की और कितनी कीमत देश चुकाएगा?"

जब डॉ. रविकांत से इस बयान के बारे में मीडिया ने सवाल किया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "हां, मैंने यह पोस्ट किया है और जो कहा है उस पर पूरी तरह कायम हूं।"

यह पहली बार नहीं है जब प्रोफेसर रविकांत विवादों में आए हैं। इससे पहले भी वे अपने बयानों को लेकर कई बार आलोचना का सामना कर चुके हैं। दो महीने पहले ही उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि "मुस्कान और सोनम रघुवंशी जैसी महिलाएं संघी विचार की उपज हैं।" इस बयान के बाद लखनऊ के हसनगंज थाने में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी।

विवादों की यह श्रृंखला यहीं नहीं थमती। मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद को लेकर भी रविकांत चंदन ने एक टिप्पणी की थी, जिससे माहौल गरमा गया था। इस विवाद के बाद छात्रों और प्रोफेसर के बीच तनातनी बढ़ी और 18 मई 2022 को कुछ छात्रों ने उनसे मारपीट तक कर दी थी। इसके बाद एक छात्र को यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया था।

प्रोफेसर रविकांत अकसर अपनी विचारधारा और खुले तौर पर सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर बोलने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस बार धीरेंद्र शास्त्री जैसे बड़े धार्मिक व्यक्तित्व पर लगाया गया आरोप बेहद गंभीर है। अभी तक धीरेंद्र शास्त्री की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

यह मामला अब तेजी से राजनीतिक रंग भी ले रहा है। कई संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर के बयान को गंभीर बताते हुए इसकी जांच की मांग की है, वहीं धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों ने इसे “धार्मिक भावनाओं का अपमान” बताया है और प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य सरकार इस पूरे विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं। लेकिन इतना तय है कि यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है।