
नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार |
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को देश की अस्मिता पर हमला और खुफिया तंत्र की गंभीर नाकामी करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस चूक के लिए जिम्मेदार लोगों का इस्तीफा तो दूर, कोई जिम्मेदारी लेने तक को तैयार नहीं है।
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि इस हमले की ज़िम्मेदारी खुफिया एजेंसियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और केंद्रीय गृहमंत्री पर बनती है, जिन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि गृहमंत्री अमित शाह ने अब तक कोई जिम्मेदारी नहीं ली है।
प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि देश के प्रमुख को केवल उपलब्धियों का श्रेय नहीं लेना चाहिए, बल्कि विफलताओं की जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सैन्य कार्रवाई रोकने की बात करते हैं, तो यह गंभीर चिंता का विषय है, और सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है और उसे संयुक्त राष्ट्र में जिम्मेदारी मिलती है, तो यह अभियान किस हद तक सफल कहा जा सकता है?
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म करने के दावे करती है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि वहां मासूम नागरिक मारे जा रहे हैं। उन्होंने पहलगाम हमले का दर्दनाक विवरण देते हुए बताया कि 22 अप्रैल को चार आतंकियों ने जंगल से आकर 26 लोगों की हत्या कर दी और पूरे एक घंटे तक घटनास्थल पर कोई सुरक्षा बल नहीं पहुंचा।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब बड़ी संख्या में पर्यटक पहलगाम जाते हैं, तो वहां सुरक्षा क्यों नहीं थी? उन्होंने कहा कि लोगों ने सरकार पर भरोसा किया था, लेकिन उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया।
प्रियंका गांधी ने यह भी बताया कि हमला करने वाले संगठन ने अब तक 25 आतंकी हमले किए हैं, जिनमें रियासी की घटना भी शामिल है, लेकिन सरकार उन्हें रोकने में नाकाम रही है। उन्होंने सदन में उन 25 मृतकों के नाम भी पढ़कर सुनाए और पूछा कि आम नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?