
नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार |
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम देने वाले तीनों आतंकवादी सोमवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए।
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान श्री शाह ने बताया कि ऑपरेशन महादेव के तहत मारे गए आतंकवादियों में सुलेमान उर्फ फैसल, अफगान और जिब्रान शामिल हैं, जो 26 पर्यटकों की हत्या में शामिल थे। उन्होंने बताया कि सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का ए-श्रेणी का आतंकी और स्वयंभू कमांडर था, जबकि अफगान और जिब्रान भी इसी संगठन के ए-श्रेणी के आतंकी थे।
गृह मंत्री ने बताया कि इन आतंकवादियों की पहचान उनकी मदद करने वालों के जरिये की गई है। घटनास्थल से बरामद हथियारों और खोखों की फोरेंसिक जांच में भी पुष्टि हुई है कि यही हथियार पहलगाम हमले में इस्तेमाल हुए थे। उन्होंने कहा कि एनआईए ने उन लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने हमले के बाद आतंकियों को शरण और भोजन दिया था, और इन्हीं से इनकी पहचान भी कराई गई है। इनके पास पाकिस्तान निर्मित चॉकलेट भी मिली है।
श्री शाह ने शोक संतप्त परिवारों को आश्वस्त किया कि जिन आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया था, उन्हें सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है, और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं को भी खत्म किया गया। उन्होंने कहा कि भारत ने पहली बार पाकिस्तान के भीतर 100 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की है, जबकि पहले सिर्फ पीओके तक ही सीमित कार्रवाई होती थी।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के नौ आतंकी अड्डे और 11 एयरबेस को निशाना बनाया गया, जिनमें नौ पूरी तरह तबाह हो गए। इसके अलावा छह राडार सिस्टम भी नष्ट किए गए, जिससे पाकिस्तान की सैन्य शक्ति को भारी नुकसान हुआ और उसे युद्धविराम की अपील करनी पड़ी।
श्री शाह ने पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने आतंकवादियों की राष्ट्रीयता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान पाकिस्तान को ‘क्लीन चिट’ देने जैसे हैं।
उन्होंने बटाला हाउस मुठभेड़ का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद पर भी टिप्पणी की और कहा कि उन्हें शहीद पुलिसकर्मी की शहादत पर दुख जताना चाहिए था।
श्री शाह ने कहा कि पिछली सरकारों की गलतियों के कारण पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने का मौका मिला, लेकिन 2014 के बाद से हर आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत ने मांग लिया होता, तो आतंकवाद की समस्या उत्पन्न ही नहीं होती।
उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में पत्थरबाजी और बंद की घटनाएं समाप्त हो गई हैं और आतंकवादी इकोसिस्टम खत्म हो चुका है। उन्होंने दोहराया कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाए रखेगी।