
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
पांच लोगों की हत्या पर गांव रहा खामोश, मासूम के खुलासे से सामने आई बर्बरता
बिहार के पूर्णिया जिले से दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसमें एक ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाकर मार डाला गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस भयावह घटना पर पूरे गांव ने चुप्पी साध ली। घटना के बाद पूरा गांव खाली हो गया और पुलिस को इसकी जानकारी करीब 10 घंटे बाद मिली। अगर परिवार का 16 वर्षीय बेटा सोनू कुमार पुलिस को सुबह फोन कर यह सूचना नहीं देता, तो यह क्रूरता शायद लंबे समय तक सामने नहीं आती।
यह घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रानीपतरा टेटगामा गांव की है, जहां एक महादलित परिवार को निशाना बनाया गया। हमले में परिवार के सभी सदस्य मारे गए, सिर्फ सोनू किसी तरह जान बचाकर अपने ननिहाल पहुंच गया और उसने सुबह करीब 5 बजे पुलिस को कॉल किया। इसके बाद पुलिस हरकत में आई।
पुलिस के अनुसार, सोनू ने गांव के लगभग सभी लोगों के शामिल होने की बात कही और चार मुख्य आरोपियों के नाम बताए। इनमे से दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। शक के आधार पर पहले नकुल उरांव को पकड़ा गया, फिर उसकी निशानदेही पर ट्रैक्टर मालिक सन्नाउल्लाह को भी गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान शवों को छिपाने की जगह का खुलासा हुआ, जहां से ग्रामीणों की मदद से सभी पांचों शव बरामद किए गए। पुलिस ने सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, मृतक बाबूलाल उरांव की पत्नी सीता देवी पर गांव में वर्षों से डायन होने का शक था। हाल ही में गांव में चार से पांच बच्चों की मौत हुई थी, जिससे अंधविश्वास और गहराया। संदेह के कारण रविवार की शाम कुछ ग्रामीणों से सीता देवी की कहासुनी हुई।
रात करीब 10 बजे 40 से 50 लोगों की भीड़ सीता देवी के घर पहुंची और गाली-गलौज करते हुए पूरे परिवार को पीटने लगी। फिर उन पर पेट्रोल छिड़ककर उन्हें जिंदा जला दिया गया। अधजले शवों को बोरे में भरकर गांव के पास स्थित घिसरिया बहियार के एक जलकुंभी भरे गड्ढे में फेंक दिया गया। घटना के बाद गांव के सभी लोग वहां से फरार हो गए हैं।
मृतकों में 70 वर्षीय कातो देवी, 50 वर्षीय बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी 40 वर्षीय सीता देवी, 30 वर्षीय मनजीत कुमार और उनकी 25 वर्षीय पत्नी रानी देवी शामिल हैं।
यह पूरी जानकारी LiveHindustan.com की रिपोर्ट पर आधारित है।