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बिहार पुलिस महानिदेशक: 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनेंगे, 1172 अपराधियों की अवैध संपत्तियाँ चिन्हित

स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |

बिहार में लंबित आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने न्यायिक प्रणाली को तेज और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। जल्द ही राज्य में 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTC) की स्थापना की जाएगी, जो विशेष रूप से हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, गैंगस्टर और आर्म्स एक्ट जैसे संगीन मामलों की त्वरित सुनवाई करेंगे। यह जानकारी सोमवार को बिहार पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने पटना स्थित सरदार पटेल भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।
राज्य में कोर्टों पर लंबित मामलों का दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे न्याय में देरी और पीड़ितों की निराशा दोनों ही समस्याएं सामने आ रही हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर विचार करते हुए 100 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का निर्णय लिया है।

डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि कोर्ट के बोझ को कम करने और संगीन अपराधों के मामलों में शीघ्र निर्णय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर जल्द ही गृह विभाग के माध्यम से राज्य सरकार को भेजा जाएगा।


पुलिस मुख्यालय द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार:

* बड़े जिलों में 3 से 5 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाएंगे।
* छोटे जिलों में 1 से 2 कोर्ट बनाए जाएंगे।
* प्रत्येक कोर्ट में विशेष अभियोजक और न्यायिक अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
* इन कोर्टों में केवल गंभीर अपराधों की सुनवाई होगी, जिससे मामलों का तेजी से निपटारा संभव हो सकेगा।

डीजीपी के मुताबिक, फास्ट ट्रैक कोर्ट बनने से न्याय की प्रक्रिया तेज होगी, आरोपियों को सजा मिलने में देरी नहीं होगी, और अपराधियों में कानून का डर पैदा होगा।


फास्ट ट्रैक कोर्ट की घोषणा के साथ ही डीजीपी ने एक और अहम जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि राज्य के 1249 थानों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर 1172 कुख्यात अपराधियों की अवैध संपत्तियों की पहचान कर ली गई है। इन संपत्तियों को BNSS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 107 के अंतर्गत जब्त करने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है।

इन अपराधियों में कॉन्ट्रैक्ट किलर, शराब व हथियार तस्कर, और संगठित गिरोहों से जुड़े व्यक्ति शामिल हैं। इस कार्रवाई का मकसद है कि अपराधियों की आर्थिक रीढ़ को तोड़कर उन्हें पंगु बनाया जाए ताकि भविष्य में अपराध की पुनरावृत्ति न हो सके।


राज्य की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने तीन बड़े अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को प्रस्ताव भेजा है।

* मनोज झा (मधुबनी)
* राकेश कुमार (मुजफ्फरपुर)
* संजय कुमार (खुशरूपुर)

इन तीनों की कुल 5.15 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ चिन्हित की गई हैं, जिन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जब्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।


डीजीपी ने यह स्पष्ट किया कि अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए केवल गिरफ्तारी से काम नहीं चलेगा। अब राज्य में पुलिस कानूनी और आर्थिक दोनों मोर्चों पर अपराधियों पर शिकंजा कसेगी।

फास्ट ट्रैक कोर्ट एक ओर न्याय प्रक्रिया को तेज करेंगे, वहीं अवैध संपत्तियों की जब्ती से अपराधियों के मनोबल और संसाधन दोनों प्रभावित होंगे। इससे कानून का डर बढ़ेगा और समाज में सुरक्षा की भावना मजबूत होगी।


बिहार में प्रस्तावित 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट और 1172 अपराधियों की संपत्तियों की जब्ती की यह कार्रवाई न केवल न्यायिक प्रणाली को प्रभावी बनाएगी, बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। सरकार से हरी झंडी मिलते ही यह परियोजना धरातल पर उतरेगी और अपराध पर लगाम कसने की दिशा में नई शुरुआत होगी।