
स्टेट डेस्क , श्रेयांश पराशर |
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस पर सवाल उठाते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं, जिन पर अब 10 जुलाई को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले को संविधान और प्रक्रिया के अनुरूप न मानते हुए कई राजनीतिक दलों, सांसदों और संगठनों ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जयमाला बागची की अवकाशकालीन पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस मांग को स्वीकार किया कि मामले की शीघ्र सुनवाई की जाए। अब अदालत गुरुवार को इस मामले पर विचार करेगी।
बिहार में नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण कराने का निर्णय लिया है। लेकिन इस फैसले का कई राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों ने विरोध किया है। उनका तर्क है कि इससे समय पर और निष्पक्ष प्रक्रिया नहीं हो पाएगी, और बड़ी संख्या में मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, आरजेडी सांसद मनोज झा, एडीआर, पीयूसीएल और योगेंद्र यादव जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। उनका कहना है कि 24 जून को चुनाव आयोग द्वारा लिया गया यह फैसला संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है।
अब सभी की निगाहें 10 जुलाई को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जो इस विवाद की दिशा तय करेगी।