
स्टेट डेस्क,श्रेयांश पराशर |
बिहार में 70,000 करोड़ खर्च का हिसाब नहीं! CAG रिपोर्ट से सरकार कटघरे में
CAG (कैग) की ताज़ा रिपोर्ट ने बिहार सरकार की वित्तीय जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य सरकार 70,000 करोड़ रुपये खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दे पाई है। इस खुलासे ने सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है और जनता में भी चिंता बढ़ा दी है।
CAG की रिपोर्ट एक संवैधानिक निकाय द्वारा तैयार की जाती है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय लेन-देन की निगरानी करता है। 2023-24 की रिपोर्ट में यह सामने आया कि बिहार सरकार द्वारा 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इनका उपयोगिता प्रमाण पत्र यानी कि कहां और कैसे खर्च हुआ, इसका सबूत सरकार नहीं दे सकी।
इसका मतलब यह है कि इतने बड़े फंड का उपयोग किस कार्य में किया गया, इसकी पारदर्शिता नहीं है। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दिखाता है, बल्कि भ्रष्टाचार की आशंका को भी जन्म देता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बिहार की विकास दर 14.47% रही, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। लेकिन इस विकास दर के बावजूद जब सरकार खर्च का लेखा-जोखा नहीं दे पाती, तो यह चिंता का विषय बन जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बिना उपयोगिता प्रमाण पत्र के इतना बड़ा खर्च न केवल वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है, बल्कि योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन पर भी सवाल उठाता है। इससे न सिर्फ सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है, बल्कि भविष्य की ग्रांट और बजट स्वीकृति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
अब देखना यह है कि सरकार इस रिपोर्ट पर क्या सफाई देती है और क्या जांच की पहल की जाती है, या फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।