
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत चुनाव आयोग के अधिकारियों को नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के अवैध प्रवासियों के मामले सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, इन लोगों ने धोखाधड़ी से आधार कार्ड, राशन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र हासिल कर राज्य में मतदाता बनने की कोशिश की है। यह जानकारी बूथ स्तर के अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर रविवार को सामने आई।
मतदाता सूची के लिए घर-घर सत्यापन अभियान में सामने आए इन तथ्यों को लेकर सियासत गरमा गई है। राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने इन दावों को 'बकवास' बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि जांच में जिन लोगों को विदेशी पाया गया है, उनके नाम अंतिम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे, जो 30 सितंबर को प्रकाशित होनी है। यह सत्यापन अभियान 25 जून से शुरू हुआ था, जिसमें लोगों के जन्म स्थान की पुष्टि की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, सर्वेक्षण के दौरान टीमों ने यह पाया कि “राज्य में बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों के लोग मौजूद हैं।” विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए और कहा कि चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर कोई दस्तावेज या प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की है। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला सिर्फ 'सूत्रों' के हवाले से चल रहा है, जिन पर भरोसा करने का कोई आधार नहीं है।
वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष अवैध वोटर बेस खत्म होने की चिंता में है। भाजपा प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि तेजस्वी यादव होते तो वे बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोगों को भी डाक मतपत्र के जरिए वोट डालने की इजाजत दे देते। उन्होंने आरोप लगाया कि राजद कार्यकर्ता अवैध प्रवासियों के नाम मतदाता सूची में जुड़वाने में भूमिका निभाते हैं। शर्मा ने यह भी सवाल उठाया कि तेजस्वी को राज्य से बाहर रहने वाले बिहारियों की चिंता क्यों नहीं है, जिनका नाम आज तक मतदाता सूची में नहीं जुड़ पाया है।