
विदेश डेस्क, नीतीश कुमार |
यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बड़ी राहत मिली है। भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद यमन प्रशासन ने उनकी सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। अब निमिषा प्रिया के वकील और उनके परिवार को यह अवसर दिया गया है कि वे मृतक तलाल अबदो मेहदी के परिजनों के साथ बातचीत कर समझौते की कोशिश कर सकें। अगर मृतक का परिवार ब्लड मनी लेने को तैयार हो जाता है तो निमिषा प्रिया की सजा माफ हो सकती है। इस सिलसिले में आज सुबह 10:30 बजे एक बैठक हुई, जिसमें केरल के मुफ्ती अबू बकर मुसलियार के करीबी दोस्त शेख हबीब उमर भी शामिल थे।
पहले यमन की अदालत ने 16 जुलाई को निमिषा प्रिया को फांसी देने का फैसला सुनाया था, लेकिन अब इसे स्थगित कर दिया गया है। भारत सरकार इस पूरे मामले में लगातार प्रयास कर रही थी ताकि किसी तरह निमिषा की जान बचाई जा सके। हालांकि अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया था, लेकिन सरकार की कोशिशों से दोनों पक्षों को समझौते के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है। हालांकि तलाल अबदो मेहदी का परिवार अभी तक ब्लड मनी स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हुआ है।
भारत सरकार के सूत्रों ने जानकारी दी कि यह मामला बेहद संवेदनशील है, इसलिए सीधे हस्तक्षेप करना संभव नहीं था। इसके बावजूद यमन स्थित भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय लगातार प्रयासरत रहे और अब मौत की सजा पर रोक लगवाने में कामयाबी मिली है। गौरतलब है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई हुई थी, जहां अदालत ने केंद्र सरकार से इस पर रिपोर्ट मांगी थी। सरकार ने कोर्ट को बताया था कि यमन के कानून और व्यवस्था अलग हैं, बावजूद इसके सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।
इस पूरे घटनाक्रम में केरल के सुन्नी नेता अबू बकर मुसलियार की पहल ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने यमन में अपने मित्र और शूरा काउंसिल के सदस्य शेख हबीब उमर से संपर्क किया और मध्यस्थता के लिए उन्हें आगे बढ़ाया। बता दें कि निमिषा प्रिया ने कथित तौर पर तलाल अबदो मेहदी के उत्पीड़न से परेशान होकर उसे बेहोशी की दवा दी थी ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस हासिल कर सके। लेकिन ड्रग्स की अधिक मात्रा से उसकी मौत हो गई थी, जिसके बाद निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई थी।