
विदेश डेस्क, श्रेया पांडेय |
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। भारत का एक उच्चस्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल वर्तमान में वाशिंगटन डी.सी. में है, जहाँ दोनों देशों के बीच “पहले चरण” के व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए वार्ताएं जारी हैं। भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, यह समझौता व्यापार में शुल्क संबंधी अड़चनों को कम करने, डिजिटल व्यापार, कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने तथा व्यापार विवादों को हल करने में मदद करेगा।
प्रतिनिधिमंडल में भारत के प्रमुख व्यापार वार्ताकार राजेश अग्रवाल शामिल हैं, जो अमेरिका के यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) से बैठक कर रहे हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस पहल पर कहा कि भारत की प्राथमिकता "समयसीमा नहीं, बल्कि गुणवत्ता और राष्ट्रीय हित" है। यह बयान उन अटकलों पर विराम लगाता है जिसमें कहा जा रहा था कि यह समझौता चुनावी लाभ के लिए जल्दबाज़ी में किया जा सकता है।
भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते पिछले एक दशक में कई बार तनाव से गुज़रे हैं। विशेष रूप से, जीएसपी (Generalized System of Preferences) के तहत भारत की छूट वापस लेने और कुछ कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने को लेकर मतभेद रहे हैं। हालांकि हाल के वर्षों में, दोनों देश इस दूरी को कम करने के लिए बार-बार वार्ताएं कर रहे हैं।
इस व्यापार समझौते के तहत उम्मीद है कि आईटी सेवाएं, टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भारत को अमेरिकी बाजार में ज्यादा पहुँच मिलेगी। वहीं, अमेरिका को भी कृषि उत्पादों, शराब, और उच्च तकनीकी मशीनरी के निर्यात में लाभ मिलने की संभावना है।
बहरहाल, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के कारण इस वार्ता की राजनीतिक संवेदनशीलता भी बढ़ गई है। भारत की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि यह समझौता भारत के किसानों, लघु उद्योगों और मध्यम वर्गीय व्यापारों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
इस वार्ता का सफलता पूर्वक निष्कर्ष निकलना भारत-अमेरिका आर्थिक सहयोग को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगा, जो न केवल द्विपक्षीय व्यापार को मजबूती देगा, बल्कि वैश्विक दक्षिण और पश्चिम के रिश्तों को भी नया आयाम देगा।