
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
मध्यप्रदेश में सरकारी लापरवाही की हद! तहसीलदार ने जारी किया आय प्रमाण पत्र, सालाना आय सिर्फ 3 रुपये
मध्यप्रदेश के सतना जिले में सरकारी लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। तहसील कोठी द्वारा जारी एक आय प्रमाण-पत्र में एक व्यक्ति की वार्षिक आय महज 3 रुपये दर्शाई गई है। यह प्रमाण-पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
यह प्रमाण-पत्र 22 जुलाई 2025 को तहसीलदार लौरथ सौरभ द्विवेदी के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। इसमें नायगांव निवासी रामस्वरूप, पिता का नाम श्यामलाल, की पारिवारिक आय को मात्र तीन रुपये वार्षिक बताया गया है। दस्तावेज में यह भी उल्लेख है कि यह आय जानकारी आवेदक द्वारा प्रस्तुत घोषणा पत्र के आधार पर दी गई है, लेकिन प्रशासन द्वारा बिना जांच के ऐसा प्रमाण-पत्र जारी कर देना लापरवाही का प्रतीक माना जा रहा है।
इस पत्र की वैधता तीन वर्ष तक मान्य है, जिसका अर्थ है कि सरकारी योजनाओं या आरक्षण संबंधी लाभों में इस प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल हो सकता है। इतनी कम आय बताने से संबंधित व्यक्ति को अत्यधिक गरीबी रेखा के नीचे (BPL) माना जाएगा, जो सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दुरुपयोग भी कर सकता है, या फिर यह किसी तकनीकी त्रुटि का परिणाम हो सकता है।
सोशल मीडिया पर दस्तावेज वायरल होते ही लोगों में नाराजगी और हैरानी दोनों देखने को मिली। कई यूजर्स ने तंज कसते हुए कहा कि "दुनिया का सबसे गरीब आदमी तो मध्यप्रदेश में ही रहता है!" वहीं कुछ लोगों ने इसे प्रशासनिक सिस्टम की असफलता बताया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार सौरभ द्विवेदी ने अब इस गलती को स्वीकार करते हुए प्रमाण-पत्र को संशोधित कराने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि यह त्रुटि तकनीकी कारणों या टाइपिंग मिस्टेक से हुई है और जल्द ही इसे सुधारा जाएगा।
यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या सरकारी प्रमाण-पत्र बिना किसी सत्यापन के महज औपचारिकता बन चुके हैं? यदि ऐसा है, तो इससे वास्तविक गरीबों का हक मारा जा सकता है और योजनाओं का लाभ गलत हाथों में जा सकता है।