
नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार |
मालेगांव बम धमाके की जांच से जुड़ा एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश मिला था। उनके मुताबिक, इसका उद्देश्य ‘भगवा आतंकवाद’ की धारणा को स्थापित करना था। मुजावर ने बताया कि उन्होंने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिसके चलते उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर दिया गया।
मुजावर के अनुसार, वह उस समय मालेगांव विस्फोट की जांच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ लोगों, जिनमें राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और मोहन भागवत शामिल थे, के संबंध में गोपनीय निर्देश मिले थे, लेकिन ये आदेश व्यावहारिक रूप से असंभव थे।
उन्होंने बताया कि 2008 में हुए इस धमाके के बाद की गई जांच को अदालत ने फर्जी करार दिया है और NIA की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। मुजावर का कहना है कि यह फैसला फर्जी जांच को उजागर करता है।
पूर्व इंस्पेक्टर ने यह भी कहा कि उन्होंने आदेश न मानने के कारण भारी कीमत चुकाई और उनका 40 साल का करियर बर्बाद हो गया। उन्होंने दोहराया कि 'भगवा आतंकवाद' जैसा कुछ नहीं था और पूरा मामला फर्जी तरीके से गढ़ा गया था।