
लोकल डेस्क, एन.के. सिंह |
मोतिहारी में 'फ़रोग़-ए-उर्दू' का भव्य आयोजन, छात्रों ने मनमोहक प्रस्तुतियों से जीता दिल, शायरों ने अपनी ग़ज़लों से सजाई महफ़िल, नगर आयुक्त ने उर्दू के प्रसार में जनभागीदारी पर दिया ज़ोर, विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोधपरक आलेख
पूर्वी चंपारण: मोतिहारी में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के उद्देश्य से एक दिवसीय 'फ़रोग़-ए-उर्दू सेमिनार, मुशायरा और उर्दू कार्यशाला' का शानदार आयोजन किया गया। उर्दू निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार के निर्देश पर जिला उर्दू भाषा कोषांग, पूर्वी चंपारण के तत्वावधान में महात्मा गांधी परीक्षा गृह में आयोजित इस कार्यक्रम ने जिले भर के उर्दू प्रेमियों, शिक्षकों, विद्वानों, शायरों और छात्रों का मन मोह लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उर्दू भाषा कोषांग, पूर्वी चंपारण के प्रभारी पदाधिकारी, हैदर इमाम ने की, जबकि बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्तियों और आम जनता ने इसमें उत्साहपूर्वक भाग लिया।
दीप प्रज्ज्वलन और विशिष्ट अतिथियों का प्रेरक संबोधन
कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन नगर आयुक्त, नगर निगम मोतिहारी, सौरभ सुमन यादव, अपर समाहर्ता पीजीआरओ शैलेंद्र भारती, जिला पंचायत राज पदाधिकारी पूर्वी चंपारण सरफराज नमाज़, उप निर्वाचन पदाधिकारी पूर्वी चंपारण मोतिहारी तथा अन्य पदाधिकारियों और विशिष्ट अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। नगर आयुक्त सौरभ सुमन यादव ने अपने उद्घाटन संबोधन में उर्दू भाषा के महत्व पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यदि आप उर्दू भाषा के प्रति गंभीर हैं तो कमी अपने अंदर तलाशिए कि इस मीठी भाषा के प्रसार में आपसे कहां चूक हुई है? उसे दूर कीजिए और इस भाषा के प्रचार-प्रसार में सरकार के साथ आप सब भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित कीजिए।" उन्होंने जिला उर्दू भाषा कोषांग पूर्वी चंपारण को इस सफल आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं। अपर समाहर्ता शैलेंद्र भारती ने उर्दू को "बहुत मीठी और दिल को छू लेने वाली भाषा" बताते हुए इसके प्रचार-प्रसार में सभी के सामूहिक योगदान पर जोर दिया। उप निर्वाचन पदाधिकारी सरफराज नवाज़ ने उर्दू में उपलब्ध रोजगार के अवसरों पर विस्तृत जानकारी दी और उपस्थित लोगों से अपील की कि वे अपने माध्यम से कम से कम पांच-पांच लोगों को उर्दू सिखाकर इस भाषा के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। उनके संबोधन ने उपस्थित लोगों को भाषा के प्रति अपने उत्तरदायित्व का एहसास कराया।
अकादमिक सत्र: उर्दू के विभिन्न पहलुओं पर गहन शोध-पत्रों का वाचन
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में उर्दू भाषा की उन्नति, उसकी समकालीन चुनौतियाँ और उसके प्रचार-प्रसार की संभावनाओं पर केंद्रित एक अकादमिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सत्र में छह प्रतिष्ठित विद्वानों ने अपने गहन शोधपरक और चिंतनशील आलेख प्रस्तुत किए, जिन्होंने श्रोताओं को उर्दू भाषा के अतीत, वर्तमान और भविष्य से जुड़ी बारीकियों से अवगत कराया: असिस्टेंट प्रोफेसर, एमएस कॉलेज मोतिहारी के डॉ. मशहुर अहमद ने "उर्दू की तदरीस और टेक्नोलॉजी का प्रयोग" विषय पर अपने विचार रखे। इंटर कॉलेज छपरा के लेक्चरर डॉ. वलीउल्लाह कादरी ने "उर्दू अदब की असरी मानवीयत" पर प्रकाश डाला। मदरसा रिज़वीया चकिया के हेड शिक्षक मौलाना मुश्ताक अहमद ने "उर्दू की बका में मकतब गाहों का कयाम और किरदार" विषय पर अपने शोध प्रस्तुत किए। मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर के विभागाध्यक्ष उर्दू डॉ. शाहिद राजा ने "फ़रोग़-ए-उर्दू में उर्दू असातेज़ा का किरदार" पर बल दिया। डायट छातौनी के लेक्चरर डॉ. फकरुद्दीन अली अहमद ने "उर्दू की तदरीस में दरपेश मसाईल और उनका हल" पर चर्चा की। अंत में, पत्रकार इंतेज़ारूलहक ने "उर्दू का फ़रोग़" विषय पर अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने भाषा के विकास के लिए विभिन्न उपायों पर जोर दिया।
छात्र-छात्राओं की प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ और रंगारंग उर्दू मुशायरा
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में छात्रों एवं छात्राओं ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया। उन्होंने उर्दू भाषा, शिक्षा और वृक्षारोपण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आकर्षक शैली में अपने विचार प्रकट किए। उनकी उर्दू के प्रति भावनात्मक अभिव्यक्ति और पर्यावरणीय चेतना पर आधारित भाषणों की सभी ने मुक्त कंठ से सराहना की, जो युवाओं में भाषा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता को दर्शाता है। कार्यक्रम के तृतीय एवं अंतिम चरण में एक भव्य उर्दू मुशायरा का आयोजन किया गया, जिसने पूरे वातावरण को साहित्यिक सुगंध से भर दिया। जिले के ख्यातनाम शायरों ने अपनी खूबसूरत शायरी से सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुशायरे में भाग लेने वाले शायरों में तफ़ज़ील अहमद तफ़ज़ील, सईद कादरी, जफर हबीबी, ओज़ैर अंजुम, आकिब चिशती, माहबूब शबनम, कलीमुल्ला कलीम, सबा अख्तर शौक, राफी अहमद और सोहैल शम्स शामिल थे। इन शायरों की ग़ज़लों और नज़्मों ने उर्दू शायरी की खूबसूरती और प्रभाव को श्रोताओं तक बखूबी पहुंचाया, जिससे कार्यक्रम का समापन यादगार बन गया।
उपस्थिति और सफल समापन
इस अवसर पर विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों और बड़ी संख्या में उर्दू प्रेमी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम का संचालन गुलाम रब्बानी (उर्दू अनुवादक) एवं ओजैर अंजुम ने संयुक्त रूप से कुशलता से किया, जिससे पूरे कार्यक्रम में सहजता बनी रही। कार्यक्रम के समापन पर श्री हैदर इमाम अंसारी ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, शायरों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का हृदय से आभार प्रकट किया, और उम्मीद जताई कि ऐसे आयोजन भविष्य में भी उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार में सहायक होंगे।