
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
शिलॉन्ग: मेघालय सरकार ने एक अहम और साहसिक कदम उठाते हुए प्रस्ताव रखा है कि राज्य में होने वाली सभी शादियों से पहले वर-वधू की एचआईवी (HIV) जांच अनिवार्य की जाए। इस फैसले का उद्देश्य राज्य में एचआईवी संक्रमण की बढ़ती दर पर लगाम लगाना है।
मेघालय राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (MSACS) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 2019 से लेकर अब तक एचआईवी के 3,000 से अधिक नए मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, अकेले 2024 में 650 से अधिक नए केस दर्ज किए गए हैं, जो चिंता का विषय बन गए हैं।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर एम. अम्पारेन लिंगदोह ने कहा, “हमारा मकसद किसी के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन नहीं करना है, बल्कि समाज को सुरक्षित बनाना है। अगर वर या वधू में से कोई एचआईवी पॉजिटिव पाया जाता है, तो इसका मकसद उन्हें परामर्श और इलाज देना होगा, ना कि शादी को रोकना।”
उन्होंने यह भी बताया कि इस पहल को धर्मगुरुओं, सामाजिक संगठनों और पंचायतों से समर्थन मिला है। कई चर्च समूहों ने भी शादी से पहले एचआईवी जांच की आवश्यकता पर बल दिया है।
हालांकि कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है और कहा है कि इसे पूरी तरह से स्वैच्छिक होना चाहिए, ताकि किसी की निजता का उल्लंघन न हो।
फिलहाल सरकार की योजना इस प्रस्ताव को विधिक रूप देने की है, जिसमें आगामी विधानसभा सत्र में इसे एक विधेयक के रूप में पेश किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रस्ताव प्रभावी तरीके से लागू होता है तो यह न केवल एचआईवी के संक्रमण को रोकने में मदद करेगा बल्कि समाज में इस बीमारी को लेकर जागरूकता भी बढ़ाएगा।