
नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार |
नई दिल्ली: उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई शुक्रवार सुबह शुरू हुई, जिसमें रिलायंस ग्रुप की लगभग 50 कंपनियों के 35 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया गया। यह छापेमारी यस बैंक द्वारा दिए गए कर्ज में कथित घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत की गई है।
अनिल अंबानी, जो कभी देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में गिने जाते थे, आज उनकी कई कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं या बिक चुकी हैं। हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और स्वयं अनिल अंबानी को 'फ्रॉड' की श्रेणी में रखा है।
यह छापेमारी सीबीआई की दर्ज की गई दो प्राथमिकियों के बाद की गई, जिनमें सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और NFRA जैसी संस्थाओं ने भी अहम जानकारियां ED को मुहैया कराईं। जांच में सामने आया है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन ऐसी कंपनियों को दिए जो या तो ग्रुप की अन्य इकाइयों से जुड़ी थीं या शेल कंपनियां थीं, और इन फंड्स को आगे अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
जांचकर्ताओं के अनुसार, लोन प्रक्रिया में अनियमितताएं पाई गई हैं। दस्तावेजों की तैयारी में लापरवाही, लोन मंजूरी से पहले फंड ट्रांसफर, और समान निदेशकों वाली आर्थिक रूप से कमजोर कंपनियों को लोन देना शामिल है। साथ ही, यस बैंक के कुछ अधिकारियों और प्रमोटरों को कथित तौर पर रिश्वत भी दी गई थी।
ED ने बताया कि इस मामले में अनिल अंबानी की 50 से अधिक कंपनियां और 25 से ज्यादा व्यक्ति जांच के घेरे में हैं। सेबी ने RHFL (रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड) से जुड़ी जानकारियां दी हैं, जहां कॉर्पोरेट लोन में एक साल में दोगुनी वृद्धि हुई थी, जिससे संदेह और बढ़ गया। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) की धारा 17 के तहत की गई है।