
नेशनल डेस्क , श्रेयांश पराशर |
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से भारतीय जनता पार्टी की संगठनात्मक रणनीति पर असर पड़ा है। अब पार्टी को नए उपराष्ट्रपति के साथ-साथ नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की चुनौती भी झेलनी पड़ रही है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस समय एक असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने न सिर्फ पार्टी नेतृत्व को चौंकाया, बल्कि इससे संगठन के स्तर पर भी बड़ी उथल-पुथल मच गई है। पार्टी पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर भीतरखाने मंथन कर रही थी और अब उपराष्ट्रपति पद को भरने की जिम्मेदारी भी सामने आ गई है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पहले से चल रही चर्चाएं अब एक बार फिर ठंडी पड़ गई हैं। कई राज्यों में अध्यक्षों की नियुक्तियां अटकी पड़ी हैं, जिससे संगठनात्मक कार्यों पर असर पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में अभी तक अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है, जिससे वहां के कार्यकर्ताओं को असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
फिलहाल मानसून सत्र के दौरान किसी बड़े संगठनात्मक फैसले की संभावना कम नजर आ रही है। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी, जिससे पार्टी की प्राथमिकता बदल सकती है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर और भूपेंद्र यादव जैसे दिग्गज शामिल हैं। इनमें से कुछ नेता संगठनात्मक अनुभव के आधार पर मजबूत माने जा रहे हैं, जबकि कुछ का नाम सामाजिक और राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखकर उभरा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने BJP के संगठनात्मक ढांचे को एक बार फिर अनिश्चितता में डाल दिया है।