Ad Image
रूसी वायु रक्षा बल ने यूक्रेन के 41 ड्रोन मार गिराये || ट्रंप ने भारत पर 25% आयात शुल्क लगाने के आदेश पर किया हस्ताक्षर || बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर राज्यसभा में हंगामा, कार्यवाही स्थगित || उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को, 7 अगस्त को जारी होगी अधिसूचना || PM मोदी ने शहीद क्रांतिकारी उधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की || शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम करती है: मंत्री रत्नेश सदा || आज राष्ट्रपति का झारखंड दौरा, देवघर एम्स के दीक्षांत समारोह में हुई शामिल || बिहार में खर्च 70 हजार करोड़ का हिसाब नहीं, पवन खेड़ा ने कहा महाघोटाला || पाक पर सैन्य कार्रवाई रोकने में ट्रंप की भूमिका पर गोलमोल जवाब दे रही सरकार: राहुल गांधी || पाक पर सैन्य कार्रवाई रोकने में अमेरिकी राष्ट्रपति की भूमिका नहीं : विदेशमंत्री जयशंकर

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

बिहार बंद के दौरान राहुल गांधी की गाड़ी से पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को रोके जाने की घटना: एक निष्पक्ष विश्लेषण

स्पेशल रिपोर्ट: नीतीश कुमार |

9 जुलाई 2025 को बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) के विरोध में महागठबंधन द्वारा बिहार बंद का आयोजन किया गया। इस बंद के दौरान पटना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव सहित कई विपक्षी नेता विरोध मार्च में शामिल हुए। इसी मार्च के दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिसने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को मंचनुमा ओपन ट्रक पर चढ़ने से सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया।

घटना का क्रम;
विरोध मार्च पटना के आयकर गोलंबर से शुरू हुआ। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी जैसे वरिष्ठ नेता ट्रक पर सवार थे। जैसे ही कन्हैया कुमार और पप्पू यादव ट्रक पर चढ़ने लगे, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया और नीचे उतरने के लिए कहा। दोनों नेताओं को ट्रक पर चढ़ने नहीं दिया गया, जिसके बाद वे पैदल मार्च में शामिल हो गए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें सुरक्षाकर्मी दोनों नेताओं को ट्रक से हटाते हुए दिख रहे हैं।

सुरक्षा व्यवस्था का पक्ष;
सुरक्षाकर्मियों और आयोजकों का कहना था कि ट्रक पर सीमित स्थान और सुरक्षा कारणों से केवल चुनिंदा वरिष्ठ नेताओं को ही चढ़ने दिया गया। भीड़ नियंत्रण और वीआईपी सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला दिया गया, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था या खतरे से बचा जा सके।

राजनीतिक समीकरण और महागठबंधन की आंतरिक राजनीति;
कई मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह घटना महागठबंधन के भीतर शक्ति संतुलन और वरिष्ठता की राजनीति को भी दर्शाती है। सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता से असहज थे, खासकर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर। कुछ रिपोर्ट्स ने इसे केवल सुरक्षा प्रोटोकॉल बताया, जबकि अन्य ने इसे महागठबंधन के भीतर नेतृत्व संघर्ष का संकेत माना।

पप्पू यादव का बयान;
पप्पू यादव ने इस घटना पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी नहीं जताई। उनका कहना था कि वे भीड़ में राहुल गांधी के बगल में थे और चाहते थे कि राहुल गांधी ऊपर चढ़ जाएं, उसी दौरान वे गिर गए। उन्होंने कहा कि वहां उनका नाम भी नहीं था और उन्हें जाना भी नहीं था। उनके अनुसार, उनके लिए सम्मान-स्वाभिमान बहुत छोटी बात है, असली मुद्दा गरीब आदमी है और वे गरीबों के दिल में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्या शिव ने जहर नहीं पिया? जनता के लिए सौ बार अपमानित हो सकते हैं। इस बयान से स्पष्ट है कि उन्होंने व्यक्तिगत अपमान या साजिश की बात को खारिज किया और मुद्दों को प्राथमिकता दी। (पप्पू यादव का यह बयान—"क्या शिव ने जहर नहीं पिया? जनता के लिए सौ बार अपमानित हो सकते हैं।"NDTV के साथ उनके एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दिया गया है।)

कन्हैया कुमार की प्रतिक्रिया;
कन्हैया कुमार ने इस घटना पर तत्काल कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी। वे पैदल मार्च में शामिल हो गए और ट्रक के पीछे चलते रहे। उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इस व्यवहार को अनुचित बताया, लेकिन कन्हैया कुमार ने सार्वजनिक रूप से इसे मुद्दा नहीं बनाया।

मीडिया और जनमत;
घटना के वीडियो और रिपोर्ट्स सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर व्यापक रूप से वायरल हुए। जनमत में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ ने इसे सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा माना, तो कुछ ने इसे राजनीतिक उपेक्षा बताया। विपक्षी दलों के प्रवक्ताओं ने इसे महागठबंधन की एकता पर सवाल उठाने का अवसर बताया।

विश्लेषण;
तथ्यात्मक रूप से देखा जाए तो कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को राहुल गांधी के साथ मंचनुमा ट्रक पर चढ़ने से सुरक्षाकर्मियों ने रोका, जिसका वीडियो प्रमाण मौजूद है। आयोजकों ने सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण को कारण बताया, लेकिन राजनीतिक समीकरणों की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। यह घटना महागठबंधन के भीतर नेतृत्व, वरिष्ठता और शक्ति संतुलन की जटिलता को उजागर करती है। पप्पू यादव और कन्हैया कुमार दोनों ने सार्वजनिक रूप से संयमित प्रतिक्रिया दी, जिससे राजनीतिक गरिमा बनी रही।
यह घटना बिहार की राजनीति में गठबंधन की जटिलता, नेतृत्व की प्राथमिकता और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन की चुनौती को उजागर करती है। पप्पू यादव का बयान इस पूरे प्रकरण में परिपक्वता और मुद्दा-केन्द्रित राजनीति का उदाहरण है, जबकि कन्हैया कुमार की प्रतिक्रिया ने भी विपक्षी एकता की गरिमा को बनाए रखा। सुरक्षा कारणों के साथ-साथ राजनीतिक समीकरणों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। यह प्रकरण भविष्य में महागठबंधन की रणनीति और आंतरिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।