
नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
हाल ही में अहमदाबाद से दिल्ली जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट में तकनीकी खराबी के चलते गंभीर हादसा टल गया। यह बोइंग 787–8 विमान टेक-ऑफ के कुछ ही मिनट बाद इंजन की गड़बड़ी के कारण वापस लौट आया और आपात लैंडिंग करनी पड़ी। इस घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अब सामने आई है, जिसने दुर्घटना से जुड़े नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, फ्लाइट के टेक-ऑफ के दौरान अचानक इंजन के ईंधन फ्लो कंट्रोल स्विच बंद कर दिए गए थे, जिससे इंजन नंबर 1 ने काम करना बंद कर दिया। इस गड़बड़ी के बाद विमान को तुरंत लौटना पड़ा। फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और वॉयस रिकॉर्डर के अनुसार, कॉकपिट में पायलटों के बीच स्विच बंद करने को लेकर भ्रम की स्थिति थी। एक पायलट इस फैसले पर आपत्ति करता है, जबकि दूसरा कहता है कि ऐसा करना ज़रूरी था।
यह बात गंभीर चिंता का विषय बन गई है कि क्या यह मानवीय भूल थी या प्रशिक्षण की कमी। एयर इंडिया के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यह पूरी तरह से पायलट एरर हो सकता है, लेकिन रिपोर्ट में इसके स्पष्ट प्रमाण नहीं दिए गए हैं। इसके अलावा, टाटा समूह, जो एयर इंडिया का स्वामित्व रखता है, पर भी अब यह दबाव बढ़ गया है कि वह पायलट प्रशिक्षण, SOP (Standard Operating Procedures), और तकनीकी निगरानी को और मज़बूत करे।
इस घटना ने विमानन नियामक DGCA को भी सतर्क कर दिया है। DGCA ने एयर इंडिया से स्पष्टीकरण मांगा है और साथ ही बोइंग से भी तकनीकी जांच रिपोर्ट को साझा करने की मांग की है। यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब एयर इंडिया अपने नए पुनर्गठन कार्यक्रम के तहत दर्जनों नए विमान खरीदने और प्रशिक्षण प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में अग्रसर है।
पायलट यूनियन ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताई है और माँग की है कि मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच की जाए। उनका कहना है कि बिना पूरी जानकारी के किसी एक व्यक्ति को दोषी ठहराना जल्दबाज़ी होगी और इससे पायलट समुदाय में भय का माहौल बन सकता है।