
विदेश डेस्क, वेरोनिका राय |
ब्राजील के रियो डी जनेरियो में 7 जुलाई को आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में वैश्विक राजनीति, आतंकवाद और आर्थिक संतुलन को लेकर कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंच से दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ अब मौन सहमति नहीं चलेगी। वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने BRICS के विस्तार को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि BRICS से जुड़ने वाले देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा।
पहलगाम आतंकी हमले की निंदा
PM मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से की। उन्होंने कहा कि यह हमला भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर हमला है। मोदी ने कहा, “यह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर चोट है।” उन्होंने आतंकवाद पर ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति की मांग की और स्पष्ट कहा कि आतंक की निंदा सिद्धांत होनी चाहिए, सुविधा नहीं।
PM मोदी ने यह भी कहा कि आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। “जो देश आतंकवाद को समर्थन देते हैं या चुप रहते हैं, वे भी उतने ही दोषी हैं,” उन्होंने जोर देते हुए कहा।
ट्रम्प की धमकी: 10% टैरिफ
BRICS के बढ़ते प्रभाव और विस्तार को देखते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका की चिंता जाहिर की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, “जो देश अमेरिका विरोधी BRICS नीतियों के साथ खुद को जोड़ेंगे, उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा।” ट्रम्प ने BRICS को अमेरिकी डॉलर और वैश्विक संस्थानों को कमजोर करने की साजिश बताया।
उनकी यह टिप्पणी BRICS द्वारा स्वतंत्र पेमेंट सिस्टम और नई करेंसी की संभावनाओं को लेकर हो रही चर्चा के बीच आई है, जिसे अमेरिका के लिए भविष्य की आर्थिक चुनौती माना जा रहा है।
BRICS में PM मोदी के प्रमुख बिंदु
PM मोदी ने BRICS मंच से वैश्विक व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा, “20वीं सदी के टाइपराइटर से 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को नहीं चलाया जा सकता।” उन्होंने यह संकेत दिया कि वर्तमान संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद और वैश्विक संस्थाएं बदलती दुनिया के लिए अक्षम साबित हो रही हैं।
1. BRICS की विविधता इसकी ताकत:
अलग सोच वाले देशों का एक मंच पर आना ही इसकी असली शक्ति है।
2. न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) में सोच-समझकर निवेश:
ऐसे प्रोजेक्ट्स में पैसा लगे जो विकास के साथ बैंक की साख बनाए रखें।
3. साइंस और टेक्नोलॉजी के लिए साझा प्लेटफॉर्म का प्रस्ताव:
उन्होंने BRICS रिसर्च सेंटर की बात रखी, जिसमें सभी देश मिलकर नवाचार करें।
4. संसाधनों के गलत इस्तेमाल पर रोक:
किसी देश को संसाधनों को हथियार की तरह इस्तेमाल करने का हक नहीं।
5. डिजिटल कंटेंट की प्रमाणिकता जरूरी:
ऐसा सिस्टम बने जिससे फेक न्यूज और गलत जानकारी पर लगाम लगे।
6. भारत में होगा AI समिट:
भारत जल्द ही AI Impact Summit की मेजबानी करेगा।
BRICS का संयुक्त घोषणा पत्र: प्रमुख घोषणाएं
17वें BRICS सम्मेलन में 31 पेज और 126 पॉइंट वाला साझा घोषणा पत्र जारी किया गया, जिसमें आतंकवाद, ग्लोबल ट्रेड, पर्यावरण, डिजिटल सुरक्षा और वैश्विक संस्थाओं में सुधार पर फोकस रहा।
मुख्य बिंदु:
- आतंकवाद की कड़ी निंदा: पहलगाम हमले और ईरान पर हुए इजराइली हमले की निंदा।
- UNSC में भारत-ब्राजील की भूमिका का समर्थन: चीन और रूस ने समर्थन किया।
- नए सदस्य देश: इंडोनेशिया को पूर्ण सदस्य और 9 अन्य देशों को सहयोगी देश बनाया गया।
- ग्लोबल ट्रेड में समानता की मांग: WTO नियमों के खिलाफ एकतरफा टैरिफ की आलोचना।
- बिग कैट्स अलायंस’ का समर्थन: भारत की बाघ और शेर संरक्षण पहल का स्वागत।
- NDB की भूमिका को सराहा गया: विकासशील देशों के लिए फंडिंग बढ़ाने की जरूरत जताई गई।
भारत-ब्राजील संबंधों में नई ऊर्जा
PM मोदी अब ब्रासीलिया जाएंगे, जहां वे ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा से द्विपक्षीय बैठक करेंगे। दोनों देशों के बीच चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे:
1. नवीकरणीय ऊर्जा
2. आतंकवाद रोधी सहयोग
3. कृषि अनुसंधान
4. गोपनीय जानकारियों का आदान-प्रदान
BRICS का उद्देश्य और बढ़ती भूमिका
BRICS की शुरुआत 2001 में हुई थी जब ब्राजील, रूस, भारत और चीन को BRIC कहा गया। बाद में दक्षिण अफ्रीका, और फिर कई अन्य देशों के जुड़ने से यह 11 सदस्यीय शक्तिशाली संगठन बन चुका है।
इसका उद्देश्य पश्चिमी देशों के आर्थिक वर्चस्व को चुनौती देना और ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों को एक मजबूत आवाज देना है। BRICS अब आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मोर्चों पर दुनिया में संतुलन बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
BRICS समिट 2025 ने यह साफ कर दिया कि अब दुनिया एकध्रुवीय नहीं रही। भारत जैसे देश अब केवल आर्थिक साझेदार नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहे हैं। मोदी का आतंकवाद पर स्पष्ट रुख, तकनीकी बदलावों की मांग और समावेशी वैश्विक व्यवस्था की वकालत यह दर्शाते हैं कि भारत अब वैश्विक एजेंडा तय करने वालों में शामिल है। वहीं, ट्रम्प की धमकियां इस बात का संकेत हैं कि BRICS की ताकत अब अमेरिका को भी परेशान कर रही है।