
नेशनल डेस्क: वेरोनिका राय, प्राची श्रीवास्तव |
DU पाठ्यक्रम बदलाव विवाद: MA कोर्स से इस्लाम, पाकिस्तान और चीन को हटाने की तैयारी, प्रोफेसरों ने बताया अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के राजनीति विज्ञान विभाग के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। MA Political Science (राजनीति विज्ञान) के पाठ्यक्रम से पाकिस्तान, चीन, इस्लाम और राजनीतिक हिंसा जैसे विषयों से जुड़े पेपरों को हटाने की सिफारिश की गई है। इस कदम को लेकर शैक्षणिक समुदाय में चिंता और असहमति देखी जा रही है। संकाय सदस्यों का कहना है कि ये बदलाव शैक्षणिक आवश्यकताओं के बजाय राजनीतिक दबावों के तहत किए जा रहे हैं।
हटाए जा रहे प्रमुख पाठ्यक्रम:
दिल्ली यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम समिति (Curriculum Review Panel) ने जिन पेपरों को हटाने या पुनः संरचित करने की सिफारिश की है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- पाकिस्तान और विश्व (Pakistan and the World)
- समकालीन विश्व में चीन की भूमिका (China’s Role in the Contemporary World)
- इस्लाम और अंतर्राष्ट्रीय संबंध (Islam and International Relations)
- पाकिस्तान: राज्य और समाज (Pakistan: State and Society)
- धार्मिक राष्ट्रवाद और राजनीतिक हिंसा (Religious Nationalism and Political Violence)
इन पाठ्यक्रमों में ऐसे मुद्दों पर विमर्श होता है जो दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक समझ, वैश्विक राजनीति में धार्मिक पहचान की भूमिका और पड़ोसी देशों की नीतियों को समझने में सहायक होते हैं।
DU के पाठ्यक्रम पैनल की सदस्य प्रोफेसर मोनामी सिन्हा ने ANI से बातचीत में बताया कि इन पाठ्यक्रमों को या तो पूरी तरह हटाया जाएगा या उनकी जगह नए पाठ्यक्रम जोड़े जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय व्यापक विचार-विमर्श और पाठ्यक्रम के अद्यतन प्रयासों के तहत लिया गया है।
हालांकि, इस फैसले का कई प्रोफेसरों और शिक्षकों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि यह एकतरफा निर्णय है, जिसमें शिक्षक समुदाय की राय को पर्याप्त रूप से नहीं सुना गया। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि यह फैसला "राजनीति से प्रेरित" है और यह शिक्षा की स्वतंत्रता और बौद्धिक विविधता के लिए खतरा है।
शिक्षकों और छात्रों की आपत्तियां:
संकाय सदस्यों का तर्क है कि पाकिस्तान और चीन जैसे विषयों पर पढ़ाई छात्रों को न केवल दक्षिण एशिया की जमीनी सच्चाई को समझने में मदद करती है, बल्कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, कूटनीति और रणनीतिक मामलों में भी सशक्त बनाती है।
शिक्षकों ने चेताया कि ऐसे विषयों को सिलेबस से हटाना छात्रों को सीमित दृष्टिकोण तक सीमित कर देगा और एकतरफा सोच को बढ़ावा देगा।
फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन अनुमान है कि पाठ्यक्रम को लेकर अंतिम निर्णय अकादमिक काउंसिल और कार्यकारी परिषद की बैठक में लिया जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय में MA Political Science के पाठ्यक्रम से पाकिस्तान, चीन, इस्लाम और राजनीतिक हिंसा जैसे मुद्दों से संबंधित विषयों को हटाने की सिफारिश एक नई बहस को जन्म दे चुकी है। जहां एक ओर इसे पाठ्यक्रम अद्यतन की प्रक्रिया बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे शिक्षा के राजनीतिकरण के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गरमाया जा सकता है क्योंकि इसमें देश की प्रमुख अकादमिक संस्थाओं की नीतियों और स्वतंत्रता का सवाल जुड़ा हुआ है।