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RSS: संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग

नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर |

RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान जोड़े गए 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा की मांग की है। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल लगाने और उस दौरान की गई ज्यादतियों को लेकर भी तीखा हमला बोला।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में मौजूद ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि इन शब्दों की अब समीक्षा की जानी चाहिए और यह विचार होना चाहिए कि क्या इन्हें संविधान में बनाए रखा जाए या नहीं।

दिल्ली में आपातकाल की 50वीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में होसबाले ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान देश में लोकतंत्र की हत्या हुई थी। हजारों लोगों को जेल में डाला गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया और न्यायपालिका व मीडिया की स्वतंत्रता छीन ली गई। उन्होंने जबरन नसबंदी जैसे कड़े फैसलों का भी जिक्र किया।

होसबाले ने कहा कि 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था, जबकि ये डॉ. बी. आर. आंबेडकर द्वारा तैयार मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने कांग्रेस से आपातकाल के लिए माफी मांगने की मांग की और कहा कि जो लोग उस समय लोकतंत्र को कुचलने के लिए ज़िम्मेदार थे, वही आज संविधान की रक्षा की बातें कर रहे हैं।

यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में संवैधानिक मूल्यों और संशोधनों को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो रही है।