
विदेश डेस्क, श्रेया पांडेय |
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने की संभावना है। दोनों देशों के बीच एक बहुप्रतीक्षित ‘मिनी ट्रेड डील’ को लेकर आगामी 48 घंटों में स्थिति स्पष्ट होने की संभावना जताई जा रही है। यह जानकारी भारत सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों और अमेरिकी प्रतिनिधियों की बातचीत से सामने आई है। यह व्यापार समझौता पिछले कुछ वर्षों से रुका हुआ था, लेकिन हालिया कूटनीतिक बैठकों के बाद इसमें तेजी देखी जा रही है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक सहयोग को लेकर कई वर्षों से वार्ताएं चल रही हैं। हालांकि इस संबंध में पहले कई बार बाधाएं आईं — विशेष रूप से कृषि, तकनीक हस्तांतरण, और ई-कॉमर्स नियमों को लेकर — लेकिन अब दोनों पक्ष लचीला रुख अपना रहे हैं। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों और भारत के वाणिज्य मंत्रालय के बीच गहन बैठकें पिछले हफ्ते दिल्ली में हुई थीं, जिसमें ड्यूटी, इनवॉइसिंग और डिजिटल टैक्स जैसे मुद्दों पर समझौते के संकेत मिले।
‘मिनी ट्रेड डील’ के तहत भारत अमेरिका को कुछ तकनीकी और कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में राहत दे सकता है, वहीं अमेरिका भी भारत के लिए वीज़ा नीतियों को सरल बना सकता है और व्यापारिक उत्पादों पर टैरिफ में रियायत देने पर विचार कर सकता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन बेहतर होने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से न केवल द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा, बल्कि इससे भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक बड़ी भूमिका निभाने का अवसर भी मिलेगा। इसके अतिरिक्त, यह कदम चीन के प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच हालिया वार्ताओं और मंचों पर हुई मुलाकातों ने भी इस प्रक्रिया को गति दी है। ‘मिनी ट्रेड डील’ को दोनों देशों के लिए एक विश्वास बहाल करने वाले समझौते के रूप में देखा जा रहा है, जो भविष्य में एक पूर्ण मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में आधार तैयार कर सकता है।
यदि यह समझौता सफल होता है, तो यह न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक होगा, बल्कि भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को भी और गहरा करेगा। आने वाले दो दिनों में इसके औपचारिक रूप लेने की पूरी उम्मीद है।