
विदेश डेस्क,श्रेयांश पराशर |
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अमेरिकी कंपनियों के चीन और भारत में नौकरियों के हस्तांतरण को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे अमेरिका की अर्थव्यवस्था और तकनीकी प्रभुत्व के लिए खतरनाक बताया और कहा कि अब समय आ गया है कि अमेरिकी कंपनियां देशभक्ति दिखाएं और अमेरिका को प्राथमिकता दें।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की प्रमुख तकनीकी कंपनियों पर आरोप लगाया है कि वे मुनाफा बढ़ाने के लिए अपने उत्पादन संयंत्र चीन में और नौकरियां भारत में स्थानांतरित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने भारतीय मजदूरों को सस्ते श्रम के रूप में नियुक्त किया और आयरलैंड जैसे देशों में टैक्स लाभ लेकर अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचाया।
AI सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने कहा, “हमारी कंपनियों को चाहिए कि वे अमेरिका के लिए पूरी तरह से समर्पित हों। हम चाहते हैं कि आप अमेरिका को प्राथमिकता दें। आपको ऐसा करना ही होगा।” उन्होंने इस मौके पर AI से जुड़े तीन कार्यकारी आदेशों पर भी हस्ताक्षर किए, जिनमें एक व्हाइट हाउस योजना भी शामिल है जो अमेरिकी AI उद्योग को समर्थन देने के लिए समन्वित राष्ट्रीय प्रयास को दर्शाती है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि लंबे समय तक अमेरिकी तकनीकी उद्योग ‘कट्टरपंथी वैश्वीकरण’ का अनुसरण करता रहा है, जिससे लाखों अमेरिकी खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। उनका कहना है कि इन कंपनियों ने अमेरिकी स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है और अपने ही देश के नागरिकों को नौकरी और अवसरों से वंचित किया है।
उन्होंने आगे कहा कि, “AI की दौड़ में जीतने के लिए सिर्फ तकनीकी क्षमता ही नहीं, बल्कि देशभक्ति और एक नई राष्ट्रीय भावना की आवश्यकता है। हमें ऐसी कंपनियों की जरूरत है जो अमेरिका के लिए खड़ी हों, न कि सिर्फ मुनाफे के लिए।”
ट्रंप का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि 2025 की वैश्विक नौकरी और तकनीकी प्रतिस्पर्धा में भारत की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो गई है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाता है कि यह भूमिका अमेरिका जैसे देशों में किस तरह की असहजता पैदा कर रही है।