
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
वाराणसी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के प्रोफेसर ऐजित कुमार चतुर्वेदी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का नया कुलपति नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 31 जुलाई 2025 को उनकी नियुक्ति की घोषणा की, जो उनके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्षों तक या 70 वर्ष की आयु तक (जो पहले हो) प्रभावी रहेगी। इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय ने बीएचयू के रजिस्ट्रार को औपचारिक सूचना भेजी है।
शैक्षणिक और पेशेवर पृष्ठभूमि में उल्लेखनीय उपलब्धियां
प्रोफेसर चतुर्वेदी वायरलेस संचार तकनीक के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से बीटेक (1986), एमटेक (1988) और पीएचडी (1995) की डिग्रियां प्राप्त की हैं। उनके शोध कार्य मुख्यतः कम्युनिकेशन थ्योरी, वायरलेस कम्युनिकेशन, वेवफॉर्म शेपिंग और एमआईएमओ सिस्टम पर केंद्रित हैं। भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में उनके योगदान को वर्ष 2008 में दूरसंचार विभाग (डीओटी) की समिति में उनकी भागीदारी के माध्यम से सराहा गया, जहां उन्होंने स्पेक्ट्रम आवंटन के दिशा-निर्देश तैयार किए। वह बीएसएनएल-आईआईटीके टेलीकॉम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के समन्वयक और टेलीकॉम स्टैंडर्ड्स डेवलपमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया (टीएसडीएसआई) के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं।
अपने करियर के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया:
- आईआईटी रुड़की के निदेशक (2017–2022)
- आईआईटी मंडी के निदेशक (2020–2022, कार्यवाहक के रूप में)
- भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक (2017–2018)
- आईआईटी कानपुर में विद्युत अभियांत्रिकी विभागाध्यक्ष, अनुसंधान एवं विकास डीन, उपनिदेशक और वर्तमान में संजय एवं रचना प्रधान चेयर प्रोफेसर।
- बीएचयू से उनका पुराना संबंध भी रहा है। वर्ष 1994 से 1996 तक उन्होंने आईआईटी-बीएचयू (तब बीएचयू का हिस्सा) में व्याख्याता के रूप में कार्य किया था।
सम्मान और पुरस्कार
प्रोफेसर चतुर्वेदी को उनके उत्कृष्ट शैक्षणिक और अनुसंधान योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:
- इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (आईएनएसए) शिक्षक पुरस्कार (2017)
- आईआईटी कानपुर विशिष्ट शिक्षक पुरस्कार (2007)
- नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर से तान चिन तुआन फैलोशिप (2008)
- आईआईटी कानपुर में सर्वश्रेष्ठ बीटेक प्रोजेक्ट सुपरवाइजर पुरस्कार (2002, 2006, 2012)
2002 में माइक्रोसॉफ्ट इनोवेशन अवार्ड जीतने वाली आईईईई कंप्यूटर सोसाइटी इंटरनेशनल डिजाइन प्रतियोगिता की टीम के मार्गदर्शक।
नियुक्ति का परिप्रेक्ष्य: कई चुनौतियों से सामना
प्रोफेसर चतुर्वेदी, प्रोफेसर संजय कुमार का स्थान लेंगे, जो जनवरी 2025 से कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्यरत थे, जब प्रोफेसर सुधीर के. जैन का कार्यकाल समाप्त हुआ। इस समय बीएचयू प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताओं, एसएसएल अस्पताल की समस्याओं, ट्रॉमा सेंटर के प्रशासनिक विवादों और परिसर की सुरक्षा से संबंधित चिंताओं से जूझ रहा है। 29वें कुलपति के रूप में चतुर्वेदी से उम्मीद है कि वे इन जटिल मुद्दों का समाधान करते हुए विश्वविद्यालय को शैक्षणिक और प्रशासनिक रूप से सशक्त बनाएंगे।
भविष्य की दिशा: विकास की ओर नई राहें
बीएचयू समुदाय और शिक्षा जगत ने प्रोफेसर चतुर्वेदी की नियुक्ति का स्वागत किया है। उनके प्रशासनिक अनुभव और शोध में विशेषज्ञता से यह आशा की जा रही है कि वे विश्वविद्यालय की शैक्षणिक योजनाओं, अनुसंधान गतिविधियों और नीतिगत सुधारों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे। बीएचयू से उनके पूर्व संबंध और तकनीकी शिक्षा में उनकी दक्षता उन्हें इस भूमिका के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती है। उन्होंने विश्वविद्यालय को प्रगति की दिशा में आगे ले जाने के लिए टीम भावना से कार्य करने का आह्वान किया है।
अन्य विवरण
उनकी सेवा की शर्तें बीएचयू के अधिनियम, विधान और नियमों के अनुरूप निर्धारित की जाएंगी, जैसा कि भारत सरकार की उपसचिव श्रेया भारद्वाज द्वारा जारी पत्र में उल्लिखित है। उनकी नियुक्ति केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत हुई है, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर नियुक्ति की जाती है। इसके अतिरिक्त, उनके परिवार का संबंध प्रतिष्ठित संत साहित्य मर्मज्ञ आचार्य परशुराम चतुर्वेदी से भी रहा है, जो बीएचयू की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत की गहरी समझ को दर्शाता है।