
विदेश डेस्क, नीतीश कुमार |
कंबोडिया-थाईलैंड सीमा संघर्ष थमा: अमेरिका-मलेशिया की मध्यस्थता से युद्धविराम, 33 मौतों के बाद शांति की पहल
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने थाईलैंड के साथ जारी सीमा विवाद के बीच युद्धविराम की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की दिशा में यह एक जरूरी कदम है। इस युद्धविराम की मध्यस्थता अमेरिका और चीन ने की है। दोनों देशों के प्रतिनिधि मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में शांति वार्ता के लिए मिले। इसमें थाईलैंड की ओर से कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई और कंबोडिया की ओर से प्रधानमंत्री हुन मानेट ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने की।
सीमा विवाद को लेकर हालिया दिनों में भारी गोलीबारी हुई, जिसमें अब तक 33 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें अधिकांश आम नागरिक हैं। ASEAN की मौजूदा अध्यक्षता कर रहे मलेशिया ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि, थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष को रोकना उनके लिए आसान था, जैसे पहले भारत-पाक विवाद में किया गया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर युद्ध जारी रहा तो अमेरिका कोई व्यापार समझौता नहीं करेगा। ट्रम्प ने दोनों देशों के नेताओं से अलग-अलग बातचीत कर सीजफायर पर सहमति का दावा भी किया। थाई प्रधानमंत्री फुमथम ने ट्रम्प को धन्यवाद दिया, लेकिन यह भी कहा कि कंबोडिया को भी इस समझौते को गंभीरता से लेना होगा। संघर्ष में अब तक कंबोडिया के 13 और थाईलैंड के 20 लोगों की मौत हो चुकी है।
कंबोडिया ने थाईलैंड पर जानबूझकर हमला करने और संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। कंबोडियाई प्रधानमंत्री के अनुसार, 24 जुलाई को हुए समझौते के एक घंटे बाद ही थाईलैंड ने सीजफायर से मुंह मोड़ लिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में कंबोडिया ने युद्ध रोकने की मांग की, वहीं थाईलैंड ने बारूदी सुरंगें बिछाने का आरोप लगाया। सुरक्षा परिषद ने संयम और कूटनीतिक समाधान की अपील की।
थाईलैंड स्थित भारतीय दूतावास ने सात सीमावर्ती राज्यों में यात्रा से बचने की सलाह दी है और आपात स्थिति में संपर्क करने को कहा है।
लड़ाई में सबसे अधिक नुकसान ओड्डार मीनचे प्रांत में हुआ है, जहां हजारों लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। कंबोडिया ने दावा किया कि थाईलैंड जानबूझकर संघर्ष को बढ़ा रहा है।
मंदिर विवाद की जड़ें दोनों देशों के ऐतिहासिक टकरावों में हैं। 1907 में खींची गई सीमा रेखा और बाद के अंतरराष्ट्रीय फैसलों ने इस विवाद को और गहरा कर दिया। ता मुएन थॉम और प्रीह विहियर मंदिरों को लेकर दोनों देशों में कई बार संघर्ष हो चुका है। 2013 में कोर्ट ने प्रीह विहियर क्षेत्र को कंबोडिया का हिस्सा बताया, लेकिन विवाद अब भी बना हुआ है।
हाल की झड़पों की शुरुआत 28 मई को एमरॉल्ड ट्राइंगल में हुई, जब एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया। हालात तब और बिगड़े जब थाई सेना ने ता मुएन थॉम मंदिर के पास कंटीले तार लगाए और ड्रोन व हवाई फायरिंग की। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगा रहे हैं।