
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
सड़क पर गिरी महिला को CPR देने वाले शिक्षक पर लगे गलत तरीके से छूने के आरोप, सोशल मीडिया पर मचा बवाल
चीन से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सड़क पर गिरी एक बेहोश महिला को सीपीआर देकर बचाने की कोशिश करने वाले एक व्यक्ति को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। आरोप है कि उन्होंने महिला को "गलत तरीके से छुआ", जबकि उन्होंने यह सब केवल उसे बचाने के इरादे से किया था।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना 12 जुलाई को चीन के हेंगयांग शहर की है, जहां एक महिला अचानक सड़क पर गिरकर बेहोश हो गई। मौके पर मौजूद एक महिला डॉक्टर ने तुरंत CPR देना शुरू किया, लेकिन कुछ देर बाद थक जाने के कारण उन्होंने वहां मौजूद लोगों से मदद की अपील की।
उसी समय पास से गुजर रहे मेडिकल स्कूल में शिक्षक ‘पेन’ ने आगे आकर डॉक्टर की मदद की और महिला को बार-बार छाती पर दबाव देकर CPR देना जारी रखा। इस दौरान डॉक्टर ने एंबुलेंस बुलाने के लिए महिला के परिजनों को फोन करने को भी कहा।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
करीब 10 मिनट बाद महिला को होश आ गया और आंखें खुलीं। इसके बाद उसे एंबुलेंस द्वारा अस्पताल ले जाया गया। लेकिन खास बात तब हुई जब महिला को CPR देते हुए पेन और डॉक्टर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कुछ लोगों ने वीडियो देखकर दावा किया कि पेन का हाथ "गलत जगह" पर था और उन्होंने महिला को "गलत तरीके से छुआ।"
शिक्षक ने दी सफाई
मेडिकल शिक्षक पेन ने कहा, "मैंने मदद के लिए बिना सोचे-समझे कदम बढ़ाया, क्योंकि मैंने CPR की ट्रेनिंग ली है और समझता हूं कि ऐसे वक्त में एक-एक पल कीमती होता है। मैंने सिर्फ मानवता के नाते महिला की जान बचाने की कोशिश की, लेकिन अब मुझे आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।"
पेन ने आगे कहा, "मुझे डर लग रहा है। अगर मुझे पहले पता होता कि मेरी मदद का यह अंजाम होगा, तो शायद मैं कोई कदम नहीं उठाता। मैं बेहद निराश हूं। मैंने CPR बहुत सावधानी से दिया था।"
मेडिकल विशेषज्ञों का समर्थन
शिक्षक पेन ने बताया कि उन्हें मेडिकल में डिग्री प्राप्त है और उनकी तकनीक पर किसी भी एक्सपर्ट ने सवाल नहीं उठाया है। स्थानीय अस्पताल की महिला डॉक्टर ने भी पेन के समर्थन में बयान देते हुए कहा कि उन्होंने बिल्कुल सही और प्रोफेशनल तरीके से CPR दिया।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आपातकालीन परिस्थितियों में जागरूकता और समझ का होना कितना जरूरी है। अगर समाज किसी मददगार को ही कठघरे में खड़ा कर देगा, तो अगली बार कोई भी आगे आने से पहले सौ बार सोचेगा।