
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
छत्तीसगढ़: दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो कैथोलिक ननों, सिस्टर प्रीति मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस, की जबरन धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तारी ने न केवल स्थानीय स्तर पर विवाद खड़ा किया है, बल्कि केरल में भी राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी है। यह घटना 25 जुलाई को तब सामने आई, जब बजरंग दल के एक स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत पर रेलवे पुलिस ने ननों और एक अन्य व्यक्ति, सुखमन मंडावी, को हिरासत में लिया। नन तीन आदिवासी युवतियों को नौकरी के लिए आगरा ले जा रही थीं, लेकिन आरोप है कि यह धर्म परिवर्तन और तस्करी का मामला था। इस घटना ने छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर ईसाइयों, में डर का माहौल पैदा कर दिया है।
बजरंग दल की शिकायत और पुलिस कार्रवाई
दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हुई इस घटना की शुरुआत तब हुई, जब बजरंग दल के कार्यकर्ता रवि निगम और ज्योति शर्मा ने पुलिस को शिकायत की कि नन तीन आदिवासी युवतियों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए आगरा ले जा रही थीं। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ननों और सुखमन मंडावी को हिरासत में लिया। तीनों युवतियां, जो नारायणपुर की रहने वाली थीं, 18 वर्ष से अधिक उम्र की थीं और उनके पास अपने माता-पिता की लिखित सहमति थी। रायपुर डायोसीज के अनुसार, ये युवतियां आगरा के एक कॉन्वेंट में रसोई सहायक के रूप में 8,000 से 10,000 रुपये मासिक वेतन की नौकरी के लिए जा रही थीं। इसके बावजूद, पुलिस ने ननों के खिलाफ भाारतीय न्याय संहिता की धारा 143 और छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया।
केरल में सियासी हलचल
केरल, जहां ईसाई समुदाय की आबादी करीब 18% है, में इस घटना ने सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) को एकजुट कर दिया। दोनों ही पक्षों ने बीजेपी पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने इसे “कानून का दुरुपयोग” करार दिया, जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने इसे “बीजेपी-आरएसएस की भीड़तंत्र” का उदाहरण बताया। राहुल ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ व्यवस्थित उत्पीड़न का हिस्सा है और ननों की तत्काल रिहाई की मांग की।
केरल के मंत्रियों पी. राजीव और रोशी ऑगस्टाइन ने सिस्टर प्रीति के परिवार से मुलाकात कर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की ओर से पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया। दूसरी ओर, यूडीएफ के सांसदों ने दिल्ली में संसद के मकर द्वार पर “अल्पसंख्यकों पर हमले बंद करो” जैसे नारे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (केसीबीसी) ने भी इस गिरफ्तारी को “दुखद और अस्वीकार्य” बताया और केंद्र सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की।
बीजेपी की मुश्किलें और रणनीति
केरल में बीजेपी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में त्रिशूर सीट पर जीत के बाद ईसाई समुदाय को लुभाने की कोशिश में थी, अब इस घटना से असहज स्थिति में है। पार्टी ने हाल के वर्षों में क्रिसमस के दौरान बिशपों के घरों में केक वितरण जैसे कदमों से ईसाई वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश की थी। लेकिन इस घटना ने उसकी छवि को नुकसान पहुंचाया है। केरल बीजेपी अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के बयानों से दूरी बनाते हुए कहा कि ननों के खिलाफ कोई जबरन धर्म परिवर्तन या मानव तस्करी का मामला नहीं है। उन्होंने पार्टी के महासचिव अनूप एंटनी को छत्तीसगढ़ भेजकर ननों की रिहाई सुनिश्चित करने का वादा किया।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय ने हालांकि पुलिस कार्रवाई का बचाव किया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि नारायणपुर की तीन बेटियों को नौकरी और प्रशिक्षण का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए तस्करी की जा रही थी। उन्होंने इसे “महिलाओं की सुरक्षा” से जुड़ा गंभीर मामला बताया और जांच को सब-ज्यूडिस करार दिया।
ईसाई समुदाय में डर का माहौल
छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय इस घटना के बाद भयभीत है। रायपुर आर्चडायोसीज के जनसंपर्क अधिकारी फादर सेबेस्टियन पूमट्टम ने कहा कि पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में एक भी धर्म परिवर्तन का मामला सामने नहीं आया है। फिर भी, बजरंग दल जैसे संगठनों की सक्रियता ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। एक नन ने द न्यूज मिनट को बताया कि बजरंग दल की नेता ज्योति शर्मा ने एक युवती पर हमला किया और उसका बयान बदलने के लिए दबाव डाला। हालांकि, अन्य दो युवतियों ने अपने बयान में कहा कि वे अपनी मर्जी से जा रही थीं।
कानूनी और सामाजिक सवाल
इस घटना ने छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन विरोधी कानूनों के दुरुपयोग पर सवाल उठाए हैं। फादर पूमट्टम ने दावा किया कि बीजेपी शासित राज्यों में ऐसे कानूनों के तहत एक भी धर्म परिवर्तन का मामला सिद्ध नहीं हुआ है। दूसरी ओर, बजरंग दल की ज्योति शर्मा ने अपने कार्यों का बचाव करते हुए कहा कि वे “हिंदू बेटियों को भटकने से बचा रही हैं।” इस बीच, ननों और सुखमन मंडावी को दुर्ग की सेंट्रल जेल में रखा गया है और उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई जल्द होने की उम्मीद है।
केरल में विरोध प्रदर्शन तेज
केरल में इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। सायरो-मालाबार, सायरो-मलंकारा और लैटिन कैथोलिक चर्च के नेताओं ने तिरुवनंतपुरम में राजभवन की ओर मौन जुलूस निकाला। कार्डिनल बेसिलियस क्लीमिस ने कहा कि ईसाई समुदाय केवल अपने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की मांग कर रहा है। उन्होंने बीजेपी से “वचन और कर्म” में एकरूपता लाने को कहा। केरल में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले यह मामला बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।