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पाकिस्तानी आतंकियों की भारत में घुसपैठ के लिए नेपाल पर नजर

विदेश डेस्क, वेरोनिका राय |

पाकिस्तानी आतंकियों की भारत में घुसपैठ के लिए नेपाल पर नजर, टॉप अफसरों ने दी चेतावनी

भारत में हो रहे आतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों की साजिश के सुर अब नेपाल में भी गूंजने लगे हैं। हाल ही में काठमांडू में आयोजित एक उच्च स्तरीय सेमिनार में नेपाल और भारत के शीर्ष रणनीतिक विशेषज्ञों, पूर्व मंत्रियों और सुरक्षा सलाहकारों ने गंभीर चिंता जाहिर की कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन नेपाल की जमीन का इस्तेमाल भारत में घुसपैठ के रास्ते के तौर पर कर सकते हैं।

सेमिनार का आयोजन नेपाल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन एंड एंगेजमेंट (NIICE) द्वारा किया गया था। विषय था: ‘दक्षिण एशिया में आतंकवाद: क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए चुनौतियां।’ इसमें भारत, नेपाल सहित अन्य दक्षिण एशियाई देशों के सुरक्षा विशेषज्ञ, राजनयिक और शिक्षाविद शामिल हुए।

पाकिस्तानी आतंकी संगठनों पर कड़ी टिप्पणी

नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने अपने संबोधन में साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन — जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) — भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि ये संगठन नेपाल की धरती का उपयोग भारत में घुसपैठ के लिए कर सकते हैं, जिससे नेपाल की आंतरिक सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।

थापा ने पाकिस्तान को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए “गंभीर खतरा” करार दिया और आतंकवाद को प्रायोजित करने के उसके रिकॉर्ड को उजागर किया।

भारत की सुरक्षा पर नेपाल की चिंता

नेपाल के पूर्व रक्षा मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने कहा कि भारत में होने वाले आतंकवादी हमलों का प्रभाव सीधे तौर पर नेपाल की आंतरिक सुरक्षा पर भी पड़ता है। उनका मानना है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने न केवल भारत को चोट पहुंचाई है, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की स्थिरता और विकास को भी बाधित किया है।

उन्होंने कहा, “आतंकवाद क्षेत्रीय एकजुटता और सहयोग की भावना को कमजोर करता है। इसके कारण सार्क (SAARC) जैसी क्षेत्रीय सहयोग संस्थाएं भी निष्क्रिय हो गई हैं।”

ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा

नेपाल के पूर्व मंत्री शिशिर खनाल और पूर्व प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार डॉ. दिनेश भट्टाराई ने हाल ही में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की खुलकर सराहना की। उन्होंने इसे सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ एक “साहसी और आवश्यक कदम” बताया।

डॉ. भट्टाराई ने विशेष रूप से पहलगाम हमले का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने हाल के वर्षों में “सबसे घातक” हमला बताया। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें एक नेपाली महिला सुमित्रा कार्की भी शामिल थीं। इस हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।

पाकिस्तान पर सीधी टिप्पणी

NIICE के निदेशक डॉ. प्रमोद जायसवाल ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ के हालिया बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को पनाह और फंडिंग दी है। उन्होंने कहा कि यह बयान इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में आतंकवाद का केंद्र रहा है।

उन्होंने कहा, “जब एक देश की सरकार खुद मानती है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देती है, तो उस देश के साथ क्षेत्रीय शांति और सहयोग की कोई संभावना नहीं बचती।”

सेमिनार में भाग लेने वाले सभी वक्ताओं का मानना था कि पाकिस्तान आधारित आतंकवाद दक्षिण एशिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। नेपाल की भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए यह जरूरी है कि वह अपनी सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा को और सख्त करे, ताकि आतंकवादी संगठन उसके क्षेत्र का उपयोग भारत या किसी अन्य देश में आतंकवाद फैलाने के लिए न कर सकें।

सभी विशेषज्ञों ने एक सुर में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ क्षेत्रीय सहयोग और साझा रणनीति समय की जरूरत है। भारत और नेपाल के बीच खुफिया और सुरक्षा संबंधी जानकारी साझा करने की प्रक्रिया को और मजबूत करने पर भी जोर दिया गया।