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पूर्वी चंपारण में सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान, पोषण सुरक्षा की केंद्रीय पड़ताल

लोकल डेस्क, एन. क. सिंह |

टीम ने आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण, स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे का निरीक्षण कर पोषण वाटिकाओं और सामुदायिक गतिविधियों का भी लिया जायजा।

पूर्वी चंपारण:  भारत सरकार के महत्वाकांक्षी 'सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान' के तहत पूर्वी चंपारण जिले में पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए एक राष्ट्रीय केंद्रीय टीम ने गहन मूल्यांकन किया। पंजाब सरकार के विशेषज्ञों के नेतृत्व में आई इस टीम ने जिले के दो प्रमुख प्रखंडों, अरेराज और चौरैया, की दो चयनित पंचायतों, मिश्रौलिया और सरोगढ़, का दौरा किया। इस दौरे का प्राथमिक उद्देश्य इन ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण संबंधी प्रयासों और स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावशीलता का गहराई से निरीक्षण करना था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आंगनवाड़ी केंद्र राष्ट्रीय पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

केंद्रीय टीम में पंजाब सरकार के मनप्रीत सिंह और हरबंश सिंह शामिल थे, जिनके साथ राज्य स्तरीय टीम से राहुल कुमार और अनूप कुमार झा भी मौजूद रहे। जिला स्तरीय टीम से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, आईसीडीएस, कविता कुमारी, कुमारी राखी, रीना सिंह, पूनम कुमारी (बाल विकास परियोजना पदाधिकारी), जिला समन्वयक मो. कामरान आलम, सी थ्री से आदित्य राज, प्रखंड समन्वयक मृगांक राज, ब्रज भूषण, और विभिन्न महिला पर्यवेक्षिकाएं भी इस निरीक्षण अभियान में सक्रिय रूप से शामिल रहीं।

पोषण और विकास का सघन निरीक्षण: मुख्य बिंदु

टीम ने आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं के विभिन्न पहलुओं का सूक्ष्मता से निरीक्षण किया, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल थे

 बुनियादी ढाँचा और सुविधाएँ: आंगनवाड़ी केंद्रों पर स्वच्छता, सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता, कार्यात्मक शौचालयों की स्थिति, और बच्चों के खेलने व सीखने के लिए एक सुरक्षित एवं प्रेरक वातावरण का बारीकी से आकलन किया गया। यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया कि केंद्र बच्चों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित स्थान हों।

 पोषाहार और स्वास्थ्य सेवाएँ: पूरक पोषाहार वितरण की वर्तमान स्थिति, बच्चों और गर्भवती व धात्री माताओं के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी, पोषण ट्रैकर के प्रभावी उपयोग, और नियमित स्वास्थ्य जाँच शिविरों के आयोजन की व्यापक समीक्षा की गई। टीम ने यह भी परखा कि क्या लाभार्थियों को पर्याप्त और पौष्टिक आहार मिल रहा है।

 वृद्धि निगरानी: बच्चों, विशेषकर छोटे बच्चों, और गर्भवती महिलाओं की वृद्धि निगरानी (ग्रोथ मॉनिटरिंग) का विशेष रूप से जायजा लिया गया। यह आकलन किया गया कि क्या वृद्धि चार्ट का सही ढंग से उपयोग किया जा रहा है और क्या कुपोषण के किसी भी संकेत की पहचान कर समय पर हस्तक्षेप किया जा रहा है।

शैक्षणिक सामग्री और गतिविधियाँ: बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और समग्र विकास के लिए उपलब्ध शिक्षण सामग्री, खिलौने, और आंगनवाड़ी केंद्रों पर आयोजित की जा रही विभिन्न गतिविधियों का निरीक्षण किया गया। टीम ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि बच्चों को आयु-उपयुक्त और आकर्षक सीखने का माहौल मिल रहा है।

 विभागीय दिशा-निर्देशों की जानकारी: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और संबंधित कर्मचारियों को विभागीय दिशा-निर्देशों की जानकारी और उनके अनुपालन का मूल्यांकन किया गया। यह परखा गया कि क्या कर्मचारी अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से भली-भांति परिचित हैं।

 पोषण वाटिका का भ्रमण: स्थानीय पोषण वाटिकाओं का भी दौरा किया गया ताकि उनके प्रभावी संचालन, सब्जियों और फलों के उत्पादन, और सामुदायिक पोषण में उनके योगदान का आकलन किया जा सके।

 समुदाय आधारित गतिविधियाँ: आंगनवाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से आयोजित की जाने वाली अन्नप्राशन और गोदभराई जैसी समुदाय आधारित गतिविधियों का भी जायजा लिया गया। इन गतिविधियों का उद्देश्य सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाना और पोषण संबंधी संदेशों को घर-घर तक पहुंचाना है।

राष्ट्रीय लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम

जिला कार्यक्रम अधिकारी, कविता कुमारी ने इस निरीक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया, "हमारा मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे आंगनवाड़ी केंद्र राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। इस केंद्रीय भ्रमण से हमें जमीनी स्तर पर मौजूद वास्तविक चुनौतियों को समझने और उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक एवं प्रभावी कदम उठाने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।" उन्होंने आगे कहा, "हम आशा करते हैं कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप केंद्र सरकार द्वारा हमारी पंचायतों का चयन सुपोषित ग्राम पंचायत के रूप में किया जा सकेगा।"

यह सघन निरीक्षण पूर्वी चंपारण जिले में सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान की सफलता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल वर्तमान स्थिति का आकलन करने में सहायक होगा, बल्कि भविष्य की रणनीतियों को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे जिले में बच्चों और माताओं के बेहतर स्वास्थ्य और पोषण की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।